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10-06-2013, 01:03 PM | #1 |
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बिज़नस न्यूज़
नई दिल्ली।। सोमवार को कारोबार शुरू होते ही रुपए में रिकॉर्ड स्तर पर गिरावट आई। रुपए डॉलर के मुकाबले 68 पैसे की भारी गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 57.76 पर पहुंच गया है। रुपए में जारी गिरावट से ट्रेडर्स में हाताश चरम पर है। ट्रेडर्स उम्मीद लगाए बैठे हैं कि रिजर्व बैंक रुपए को संभालने के लिए कुछ करेगा। ट्रेडर्स की मानें तो आरबीआई की तरफ से रुपए को संभालने के लिए कुछ कदम उठाने के संकेत मिले हैं। फिलहाल सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आरबीआई ब्याज दरों में बदलाव करेगा? डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी इंडियन इकॉनमी को परेशान करने वाली खबर है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 48 पैसे की गिरावट के साथ 57.54 पर पहुंच गया। वहीं पिछले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपया 57.06 पर बंद हुआ था। शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 57.50 तक टूटा है, जो रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपए का सबसे निचला स्तर 57.32 था। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कहना है डॉलर के मुकाबले रुपया 58 के स्तर तक टूट सकता है। रुपए में इस भारी कमजोरी से महंगाई और बढ़ने की आशंका है। अब आरबीआई पर रुपए को संभालने के लिए भारी प्रेशर है। मार्केट पंडितों का कहना है कि दरअसल रुपए कमजोर नहीं हो रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है।
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10-06-2013, 01:03 PM | #2 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
रुपए कमजोर होने का मतलब है कि आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी और इससे इन्फ्लेशन रेट बुरी तरह से प्रभावित होगी। पेट्रोल-डीजल कीमत फिर से सरकार बढ़ा सकती है। क्योंकि डॉलर की कीमत बढ़ने से एक्सपोर्ट बिल में इजाफा होना लाजिमी है। विदेश में पढ़ाई करने वालों के लिए यह बुरी खबर है। डॉलर मजबूत होने से विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी। जिनकी विदेश में सैर-सपाटा की योजना थी उनके लिए भी यह बुरी खबर है।
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28-06-2013, 06:40 PM | #3 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
कमजोर वैश्विक रुख के बीच सटोरियों के सौदों की कटान से वायदा कारोबार में आज सोने की कीमत 372 की गिरावट के साथ 25000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे पहुंच गई है।
एमसीएक्स में सोने के अक्टूबर डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 235 रुपये अथवा 0.92 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,267 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई जिसमें 134 लॉट के लिए कारोबार हुआ। इसी प्रकार सोने की अगस्त महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की 217 रुपये अथवा 0.86 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,158 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई जिसमें 2,967 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार विश्लेषकों ने कहा कि वैश्विक बाजार में कमजोरी के रख से मुख्यत: वायदा कारोबार में सोना वायदा कीमतों पर दबाव बढ़ गया। वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोने की कीमत 0.60 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,191.79 डालर प्रति औंस रह गई।
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28-06-2013, 06:41 PM | #4 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
डालर की बढ़ती मांग के कारण रुपया अपने सबसे निचले स्तर तक गिर गया। अंतर बैंकिंग मुद्रा विनिमय बाजार में कल रुपया 69 पैसे लुढ़ककर 60.35 रुपये प्रति डालर के नये सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया। आपको बता दें कि इस स्तर पर रुपया पहले कभी नहीं पहुंचा था। बीते दो दिनों में रुपया 2.5 फीसदी और बीते छह सप्ताह में 10 फीसदी लुढ़क चुका है।
एक महीने की बात करें तो रुपया डॉलर के मुकाबले 7.75 फीसदी कमजोर हुआ है। एक माह पहले महज 54.75 रुपये का एक डॉलर था। यानी इस दौरान रुपये डॉलर के मुकाबले 7.75 फीसदी कमजोर हुआ है। विशेषज्ञ मानकर चल रहे हैं कि रुपया एक डॉलर के मुकाबले 62 रुपए तक गिर सकता है।
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28-06-2013, 06:41 PM | #5 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
1 हफ्ते में निवेशकों ने निकाले 464 अरब रुपये, बढ़ी बाजार की मुश्किलें
निवेशकों ने पिछले सप्ताह उभरते बाजारों के बांड और इक्विटी फंड कोषों से कुल मिला कर आठ अरब डॉलर की राशि निकाली। 2011 की तीसरी तिमाही के बाद किसी एक सप्ताह में यह अधिकतम निकासी है। धन के प्रवाह पर नजर रखने वाली कंपनी ईपीएफआर ग्लोबल ने कहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नकदी प्रवाह बढाने की नीति हल्की करने की आशंका के मद्देनजर उभरते बाजारों से जुड़े कोषों से धन निकासी का दबाव है। कंपनी ने कहा कि ईपीएफआर ग्लोबल जिन बांड कोषों का आकलन करती है उनमें से सप्ताह के दौरान रिकार्ड 14.45 अरब डालर की निकासी हुई।
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28-06-2013, 06:41 PM | #6 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
कमजोर रुपये के चलते कारें होंगी महंगी
नई दिल्ली - रुपये के अवमूल्यन का असर कारों की कीमतों पर भी पडऩे का अंदेशा है। दरअसल, टोयोटा और जनरल मोटर्स समेत कई ऑटोमोबाइल कंपनियों ने कमजोर रुपये को देखते हुए वाहन मूल्यों में बढ़ोतरी का विकल्प खुला रखा है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स के उप प्रबंध निदेशक एवं सीओओ (मार्केटिंग एवं कॉमर्शियल) संदीप सिंह ने कहा, 'हम कुछ समय तक इंतजार करेंगे। हम माह के आखिर में अपनी कारों की कीमतों की समीक्षा करेंगे। अगर रुपये का लुढ़कना जारी रहा तो हम अपनी कारों की कीमतें बढ़ाने पर विवश हो जाएंगे।' उन्होंने कहा, 'रुपये के अवमूल्यन का प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि हमारी कंपनी अपने तकरीबन 50 फीसदी कलपुर्जों का आयात करती है।' जनरल मोटर्स इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट पी. बालेन्द्र ने बताया, 'हमारी कंपनी ने जून के पहले हफ्ते में अपनी कारों के दाम बढ़ाए थे। हम तत्काल अपनी कारों के दाम बढ़ाने पर विचार नहीं कर रहे हैं। हालांकि, हम आगे भी स्थिति की समीक्षा करेंगे।' होंडा कार्स इंडिया ने बताया कि कंपनी ने गत 1 अप्रैल से अपने कई मॉडलों के दाम बढ़ाए थे।
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28-06-2013, 06:42 PM | #7 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
आयात महंगा
रुपया कमजोर होने पर आयात महंगा होगा, क्योंकि अब हम एक डॉलर के बदले पहले से अधिक रुपए चुकाएंगे। वाहन: देश की अधिकांश ऑटो कंपनियां किसी विदेशी पार्टनर के साथ काम करती हैं। गाड़ियों के कंपोनेंट महंगे होंगे तो वाहन भी महंगे हो जाएंगे। इलेक्ट्रॉनिक आयटम: इलेक्ट्रॉनिक आयटम या उनके कंपोनेंट भी विदेश से आयातित हाते हैं। ये भी महंगे हो जाते हैं। फर्टिलाइजर: देश के कुल फर्टिलाइजर खपत का 50-55 फीसदी हिस्सा हम आयात करते हैं। यह महंगा होगा तो किसानों के लिए दिक्कतें बढ़ेंगी। मेडिसिन: मेडिसिन या उनमें इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स का भी बड़े पैमाने पर आयात होता है। इससे दवाइयां महंगी होंगी, आम लोगों की दिक्कतों में इजाफा होगा।
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28-06-2013, 06:42 PM | #8 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
तेल महंगा होगा
हम अपनी जरूरत का लगभग 75 फीसदी तेल आयात करते हैं। कुछ पैसों का फर्क भी करोड़ों रुपए का भार बढ़ा देता है। बढ़ेगी महंगाई: तेल की कीमतों का मुद्रास्फीति से सीधा संबंध है। खासकर डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होते ही मुद्रास्फीति की दर बढ़ जाती है। कर्ज महंगे: मुद्रास्फीति आम लोगों के साथ-साथ बैंकिंग सेक्टर पर भी सीधे असर डालती है। इससे घरेलू कर्ज सहित अन्य तमाम कर्ज भी महंगे हो जाते हैं। इससे आम लोगों से लेकर इंडस्ट्री तक पर सीधा असर पड़ता है। निर्माण सेक्टर संकट में: देश की जीडीपी में इसका लगभग 6 फीसदी हिस्सा है। इसके संकट में आने पर देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ता है।
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28-06-2013, 06:42 PM | #9 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
घटेगा विदेशी निवेश
विदेशी निवेशकों के रिटर्न में कमी आती है। इससे वे देश में निवेश करने में कतराने लगते हैं। दिक्कत में कंपनियां: विदेशी निवेश कम होने से इंपोर्ट डिपेंड इंडस्ट्री को दिक्कत होगी। इससे उनकी प्रोडक्शन कॉस्ट और ऑपरेशन कॉस्ट भी काफी बढ़ जाती है। चुकाना होगा अधिक लोन: जिन कंपनियों ने 2008 में जो विदेशी लोन 39 रुपए के हिसाब से लिया था, 2012 में 56 रुपए के हिसाब से उसे चुकाया। नौकरियों में कमी: लोन ज्यादा चुकाने से कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। इससे कंपनियां अपने खर्च को कम करने के लिए स्टाफ में कमी करती हैं। इससे बेरोजगारी की स्थिति और गंभीर होती है।
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28-06-2013, 06:42 PM | #10 |
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Re: बिज़नस न्यूज़
किन-किन को होता है लाभ?
एनआरआई: एनआरआई विदेशों में डॉलर में कमाते हैं और जब उनके रिश्तेदार या घर वाले भारत में करेंसी एक्सचेंज करते हैं तो अधिक रुपए मिलते हैं। एक्सपोर्टर्स: एक्सपोर्टर को एक्सपोर्ट करने पर जो डॉलर मिलते हैं, उनका देश में एक्सचेंज होने पर उन्हें अधिक रुपए मिलते हैं। टूरिज्म इंडस्ट्री: रुपया गिरने से विदेशी पर्यटकों को भारत आने पर कम डॉलर खर्च करने पड़ते हैं, जिससे टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है।
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