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17-11-2012, 04:07 PM | #1 |
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बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे की जीवन यात्रा आज बाल ठाकरे का निधन हो गया। बालासाहेब केशव ठाकरे भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के प्रसिद्ध राजनेता थे। उन्होने शिव सेना नामक हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया था। बालासाहेब का जन्म २३ जनवरी १९२६ को मध्यप्रदेश के बालाघाट में हुआ था। बाल ठाकरे ने अपने कार्य-जीवन का प्रारंभ मशहूर समाचारपत्र फ़्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने १९६० में अपने भाई के साथ एक कार्टून साप्ताहिक 'मार्मिक' की भी शुरुवात की। १९६६ में उन्होंने महाराष्ट्र में शिव सेना नामक कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी संगठन की स्थापना की. हालांकि शुरुवाती दौर में बाल ठाकरे को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई लेकिन अपनी उम्र के अंतिम दौर में उन्होंने शिव सेना को सत्ता की सीढ़ियों पर पहुंचा ही दिया. १९९५ में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई। हालांकि २००५ में उनके बेटे उद्धव ठाकरे को अतिरिक्त महत्व दिये जाने से नाराज उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नई पार्टी 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' बना ली. बाल ठाकरे अपने उत्तेजित करने वाले बयानों के लिये जाने जाते थे और इसके कारण उनके खिलाफ सैकड़ों की संख्या में मुकदमे दर्ज किये गये थे।
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17-11-2012, 04:18 PM | #2 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे शिकागो पर राज करने वाले अल कैपन की तरह हैं जो बॉम्बे पर भय और धमकी से राज करते हैं. ये टिप्पणी कभी वाशिंगटन पोस्ट में छपी थी.
बाला साहब ठाकरे ने हिंदू हृदय सम्राट के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. शिव सेना पार्टी की स्थापना की. खुद में हिटलर का अक्स देखने वाले बाला साहेब ठाकरे अपनी कार्यशैली को लेकर जीवनभर विवादों से घिरे रहे.
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17-11-2012, 04:23 PM | #3 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे की पत्*नी का नाम मीना ठाकरे था, जिनका 1996 में देहांत हो गया. उनके तीन बेटे स्*वर्गीय बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे हैं. उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव ठाकरे की एक रोड एक्*सीडेंट में 20 अप्रैल 1996 को मुंबई-पुणे हाइवे पर मौत हो गई थी.
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17-11-2012, 04:25 PM | #4 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
शिवसेना का शाब्दिक अर्थ 'शिव की सेना' है. शिव से अर्थ महान मराठा शिवाजी से है. इन दिनों बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. शिवसेना के कार्यकर्ताओं को शिव सैनिक कहा जाता है और वे पार्टी के सभी मूलभूत कामों को बखूबी निभाते हैं. बीमारी के चलते पिछले कुछ समय से बाल ठाकरे ने स्वयं को पार्टी के दैनिक कार्यों से अलग कर लिया है. वहीं बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे को माना जा रहा है कि वे उनकी राह पर हैं. हालांकि 2006 में उन्होंने शिवसेना छोड़ दी. अपनी राजनीतिक पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना बना ली.
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17-11-2012, 10:34 PM | #5 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
अभिजी, बाला साहेब ठाकरे के बारे में आज मीडिया में बहुत कुछ आया। मैं चाहता था कि समस्त समाचारों को एक सूत्र का रूप दूं, किन्तु आपका यह सूत्र देखने के बाद यह सब इसी में पोस्ट करना मुझे उचित लगा। यदि आप इस सूत्र को सिर्फ बाला साहेब की जीवनी तक सीमित रखना चाहते हों, तो कृपया मेरे द्वारा प्रविष्ठ जीवनी छोड़कर अन्य सामग्री मेरे समाचारों के सूत्र में स्थानांतरित कर दें। धन्यवाद।
शिवसेना ‘कुलगुरू’ बाल ठाकरे का निधन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का यहां बांद्रा (मुंबई) स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिन से बीमार थे। वह 86 वर्ष के थे। शिवसेना प्रमुख का इलाज करने वाले डाक्टर जलील पारकर ने आज शाम ठाकरे के आवास से बाहर आने के बाद संवाददाताओं से कहा, उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। भरसक प्रयास के बावजूद हम उन्हें बचा नहीं पाए। उन्होंने अपराह्न 3.30 मिनट पर अंतिम सांस ली। ठाकरे को सांस की बीमारी के अलावा पेंक्रियास की बीमारी थी। उनके परिवार में पुत्र जयदेव और उद्धव हैं। इनमें उद्धव पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। ठाकरे के निधन का समाचार सुनते ही बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपने परिवार के साथ ‘‘मातोश्री’’ के लिए निकल पड़े । उनके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता और अन्य राजनीतिक नेता भी दिवंगत नेता के आवास पर पहुंचने लगे। इस बीच ठाकरे के निधन के बाद महानगर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है। पुलिस ने मीडिया के लोगों को मातोश्री से थोड़ी दूरी पर रहने को कहा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ठाकरे के निधन पर शोक व्यक्त किया। सिंह ने आज भाजपा नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज को रद्द कर दिया। यह दिलचस्प है कि कांग्रेस के कट्टर विरोधी माने जाने वाले ठाकरे ने 2006 में राष्ट्रपति पद के चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल की समर्थन किया था और इस वर्ष के राष्ट्रपति चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेसी उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी का समर्थन किया। पिछले कुछ दिन से उनकी तबीयत खराब होने के बावजूद शिवसेना के नेता और उनका मुखपत्र ‘सामना’ लगातार उनकी तबीयत में सुधार की बात कह रहे थे। उनकी मौत की खबर सुनते ही राजनीति, बॉलीवुड और उद्योग जगत की बड़ी हस्तियां उनके आवास पर पहुंच रही हैं। मातोश्री के बाहर खड़े मीडिया प्रतिनिधियों और शिवसेना कार्यकर्ताओं को अपराह्न चार बजे के बाद कुछ सुगबुगाहट महसूस हुई क्योंकि शिवसेना, भाजपा और अन्य पार्टियों के कई वरिष्ठ नेता वहां पहुंचने लगे और पुलिस भी पहले से चौकन्नी हो गई। अनर्थ की आशंका के बीच शिवसेना नेता संजय राउत और दिवाकर राओते अपने साथ डाक्टर जलील पारकर को लेकर करीब पांच बजे मातोश्री से बाहर आए। डाक्टर पारकर पिछले तीन वर्ष से बाल ठाकरे का इलाज कर रहे थे। उन्होंने ठाकरे के निधन का ऐलान किया। यह खबर सुनते ही वहां बड़ी संख्या में मौजूद शिवसैनिकों ने ‘बाल ठाकरे अमर रहें’ का नारा लगाते हुए मातोश्री में घुसने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर ही रोक लिया। अपने नेता की मौत की खबर सुनकर बहुत से शिवसैनिक अपने आंसू नहीं रोक पाए। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए भाजपा ने आज कहा कि ‘एक शेर’ नहीं रहा। भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष और राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ‘एक असाधारण व्यक्ति चला गया। स्वतंत्र भारत के 65 वर्ष में देश पर ऐसी गहरी छाप छोड़ने वाला व्यक्तित्व विरले ही होगा जैसी छाप बाल ठाकरे ने छोड़ी है।’ लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि बाला साहब के निधन की खबर से उन्हें गहरा सदमा हुआ है। एक शेर नहीं रहा। ठाकरे की सेहत में पिछले कुछ दिन से उतार चढाव आ रहा था। उनके पुत्र उद्धव ने गुरूवार की रात शिवसैनिकों से ‘शांति बनाए रखने और उनके पिता के लिए प्रार्थना करने’ की अपील की। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किया। ठाकरे का इलाज लीलावती अस्पताल के डाक्टरों द्वारा किया जा रहा था। कोई मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया गया, लेकिन शिवसेना के नेता मीडिया को हर दिन उनकी सेहत के बारे में जानकारी देते थे। बुधवार की रात को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया। बाद में उनकी हालत में सुधार हो देखते हुए इस प्रणाली को हटा लिया गया। पिछले तीन दिन में ठाकरे की तबीयत को लेकर चिंतित लोगों का मातोश्री पहुंचने का सिलसिला काफी बढ गया था। अन्य लोगों के अलावा अमिताभ बच्चन और उनका परिवार, सलमान खान, उनके पिता सलीम और भाई अरबाज, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर, अभिनेत्री हेमा मालिनी, गुजरे जमाने के अभिनेता मनोज कुमार, जितेन्द्र और राकेश रौशन यहां आए। राजनीतिक दिग्गजों में अन्य लोगों के अलावा राकांपा प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान, गृह मंत्री आर आर पाटिल, वित्त मंत्री जयंत पाटिल शिवसेना प्रमुख का हालचाल मालूम करने यहां पहुंचे। अपने रिकार्डिड संदेश में ठाकरे ने कमजोर आवाज में कार्यकर्ताओं से उनके पुत्र और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और पोते एवं सेना की युवा शाखा के प्रभारी आदित्य ठाकरे का समर्थन करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, ‘मैं शरीर से निढाल हो गया हूं।’
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17-11-2012, 10:35 PM | #6 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
ठाकरे का पार्थिव शरीर दर्शन के लिए शिवाजी पार्क में रखा जाएगा
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का पार्थिव शरीर कल मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क में ‘दर्शन’ के लिए रखा जाएगा। बाल ठाकरे का आज दोपहर उनके बांद्रा स्थित आवास में निधन हो गया। शिवाजी पार्क ही वह जगह है, जहां शिवसेना की पहली रैली का आयोजन किया गया था और जहां ठाकरे ने साल दर साल दशहरा रैलियों को संबोधित किया। इस वर्ष वह तबीयत खराब होने के कारण समारोह में भाग नहीं ले पाए थे। शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने यहां कहा कि पार्टी कार्यकर्ता कल सुबह सात बजे से शिवाजी पार्क में शिवसेना प्रमुख को अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे। राउत ने कहा, ‘लोगों को शांति बनाए रखनी है और धैर्य नहीं खोना है। हमें शिवसेना प्रमुख के विचारों को आगे बढाना है।’ पार्टी ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ न आएं और उसकी बजाय शिवाजी पार्क पहुंचें।
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17-11-2012, 10:54 PM | #7 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
ठाकरे अपने गैर परंपरागत खयालात के लिए पसंद किए जाते थे। हालांकि इस दौरान उन्हें कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। 11 दिसंबर 1999 से 10 दिसंबर 2005 के बीच उनके मताधिकार पर रोक लगा दी गई क्योंकि उन्होंने लोगों से सांप्रदायिक आधार पर वोट देने की अपील की थी, जिसके बाद उच्च न्यायालय के आदेश और चुनाव आयोग की अधिसूचना के द्वारा उनपर यह रोक लगाई गई। अपने प्रवासी विरोधी विचारों के कारण ठाकरे को हिंदी भाषी राजनीतिज्ञों की नाराजगी झेलनी पड़ती थी। उन्होंने बिहारियों को देश के विभिन्न भागों के लिए ‘बोझ’ बताकर खासा विवाद खड़ा कर दिया था। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वह प्रशंसक थे। ठाकरे की पार्टी को 1991 में बड़ा झटका लगा जब छगन भुजबल ने बाल ठाकरे द्वारा मंडल आयोग रिपोर्ट का विरोध करने के विरोध में पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। ठाकरे को उस समय व्यक्तिगत आघात लगा, जब उनकी पत्नी मीना की 1995 में मौत हो गई। अगले ही वर्ष ठाकरे के सबसे बड़े पुत्र बिंदुमाधव की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। उन्हें 2005 में अपने जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा जब उनके भतीजे राज ने शिवसेना को छोड़ दिया और 2006 में अपनी राजनीतिक पार्टी एमएनएस बना ली। इस घटना ने शिवसेना-भाजपा के दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीदों को भी कमजोर कर दिया। ठाकरे की सेहत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थी। 24 अक्तूबर को दशहरा रैली में ‘शेर की दहाड़’ सुनाई नहीं दी। उन्होंने वीडियो रिकार्डेड भाषण के जरिए अपने समर्थकों को संबोधित किया और सार्वजनिक जीवन से सन्यास का ऐलान किया। उनहोंने अपने समर्थकों से उनके पुत्र उद्धव और पोते आदित्य का साथ देने का आग्रह किया और इसके साथ ही शिवसेना के उत्तराधिकार की बेल को सींच दिया।
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18-11-2012, 09:30 PM | #8 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
हेमा मालिनी ने स्थगित की जया स्मृति
दिग्गज बॉलीवुड अदाकारा और नृत्यांगना हेमा मालिनी ने दिवंगत शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे के सम्मान में अपना वार्षिक नृत्य महोत्सव स्थगित कर दिया है । ठाकरे का कल निधन हो गया । अपनी माता जया चक्रवर्ती की स्मृति में 64 साल की अदाकारा 2010 से हर साल जया स्मृति का आयोजन करती हैं जिन्होंने उन्हें भरतनाट्यम के लिये प्रेरित किया । मालिनी ने शुक्रवार को यहां नेहरू केंद्र में समारोह का उद्घाटन किया लेकिन ठाकरे की शनिवार को हुए निधन के बाद अगला दो दिन स्थगित कर दिया । अदाकारा ने ट्विट किया, ‘श्री बाल ठाकरे के दुखद निधन के कारण जया स्मृति 17 और 18 नवंबर को स्थगित रहेगा । मुझे उम्मीद है कि आप सभी मुझे चाहने वाले इस स्थिति में मेरे साथ खड़े होंगे ।’
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19-11-2012, 01:13 AM | #9 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
बाल ठाकरे का निधन भाजपा के लिए बड़ी क्षति : नायडू
भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने आज कहा कि बाल ठाकरे का निधन उनकी पार्टी (भाजपा) के लिए बड़ी क्षति है क्योंकि शिवसेना लंबे समय से विश्वसनीय सहयोगी रही है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बालासाहब का निधन भाजपा के लिए बड़ा नुकसान है क्योंकि शिवसेना लंबे समय से विश्वसनीय सहयोगी रही है।’ नायडू ने याद किया कि महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद भी ठाकरे ने कभी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अपने को महाराष्ट्र तक ही सीमित रखा। उनका निधन राज्य और भारत के लिए बड़ी क्षति है।’ भाजपा नेता ने कहा कि ठाकरे मुखर, स्पष्टवादी और कभी समझौता नहीं करने वाले योद्धा रहे और वह कभी भी सत्ता के लिए लालयित नहीं रहे। ‘ठाकरे में जैसी क्षमता थी, वैसे उदाहरण देश के राजनीतिक इतिहास में काफी कम मिलेंगे।’ नायडू ने कहा कि लीलावती अस्पताल में उन्होंने बीमार ठाकरे से भेंट की थी और उन्हें कहा गया था कि वह ठीक हो जाएंगे। ‘लेकिन अब वह हमारे बीच नहीं हैं और मैं सिर्फ यही प्रार्थना कर सकता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।’ पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के भाजपा छोड़ने की स्थिति में संभावित नतीजा के बारे में नायडू ने कहा कि अगर वह अपनी पार्टी बनाना चाहते हैं तो यह उनका फैसला है। लोग विचारधार को समर्थन करते हैं, व्यक्ति को नहीं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भी लोग भाजपा के साथ रहेंगे और पार्टी ने येदियुरप्पा को हर मदद की थी। भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ येदियुरप्पा की टिप्पणी पर नायडू ने कहा कि वरिष्ठ नेता पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि येदियुरप्पा सहित सभी नेता उनके नेतृत्व में बढे हैं।
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20-11-2012, 01:27 AM | #10 |
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Re: बाल ठाकरे की जीवन यात्रा
ठाकरे की पसंदीदा संख्या थी 13 : पुस्तक
देश में कई लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं लेकिन बाल ठाकरे के लिए यह उनकी पसंदीदा संख्या थी। ठाकरे का 86 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। उनकी शादी 13 जून 1948 को हुयी थी और उन्होंने साप्ताहिक काटून पत्रिका ‘मार्मिक’ की शुरूआत 13 अगस्त 1960 को की थी। बाल ठाकरे के संबंध में यह जानकारी एक आने वाली किताब ‘बाल ठाकरे : राइज आफ शिव सेना’ में दी गयी है। मुंबई के पत्रकार वैभव पुरंदरे इसके लेखक हैं। बाल ठाकरे हालांकि अंक शास्त्र में भरोसा नहीं करते थे लेकिन वह ऐसी संख्या पसंद करते थे जिसका जोड़ नौ आता हो। संयोग की बात है कि उनका निधन दोपहर बाद तीन बजकर 33 मिनट पर हुआ। इस संख्या का जोड़ भी नौ आता है। इस किताब में उस घटना का जिक्र किया गया है जब ठाकरे ने एक मराठी अखबार की नौकरी तीन बार छोड़ी थी जहां वह काटूर्निस्ट के तौर पर काम करते थे। पहली बार उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उन्हें बैठने के लिए जो सीट दी गयी थी, वह टेलीफोन के पास थी। टेलीफोन के लगातार बजते रहने से उनका ध्यान भंग होता था। दूसरी बार उन्होंने तब नौकरी छोड़ दी थी जब अभिव्यक्ति की उनकी स्वतंत्रता पर ‘रोक लग’ गयी थी। एस के पाटिल और मीनू मसानी जैसे ‘बड़े लोगों’ का कार्टून बनाने से उन्हें मना कर दिया गया था। उन दिनों कांग्रेस नेता पाटिल मुंबई के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता में से थे। तीसरी बार ठाकरे ने उस समय नौकरी छोड़ी जब अखबार के अन्य पत्रकारों के साथ मिलकर उन्होंने एक दैनिक शुरू करने का फैसला किया। पुस्तक में ठाकरे की विभिन्न पसंदों का भी जिक्र किया गया है। उन्हें ठंडी बीयर पसंद नहीं थी हालांकि सिगार के वह शौकीन थे। जब शरद पवार उन्हें देखने अस्पताल गए थे तो ठाकरे ने अपने चिरपरिचित मजाकिया अंदाज में उनसे कहा था, ‘मेरी प्रेमिका मेरी साथ नहीं है।’ इस प्रेमिका से उनका मतलब सिगार से था। बीमारी के कारण ठाकरे को धूम्रपान करने से मना कर दिया गया था। कट्टरपंथी हिन्दुत्व की बात करने वाले ठाकरे को अपने मुस्लिम डाक्टर जलील पारकर में पूरा भरोसा था। पुस्तक के अनुसार, डा. पारकर कहते हैं कि ठाकरे काफी दयालु व्यक्ति थे और जीवन से भरपूर ठाकरे को प्रकृति से विशेष प्रेम था।
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