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09-04-2011, 07:54 AM | #1 |
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सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
सप्ताहांत चिन्तन (Weekend Musing)
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09-04-2011, 08:04 AM | #2 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
वह रात... जून २५, १९८३. (यह लेख दी हिन्दू, अंग्रेजी दैनिक अखबार के एक editorial से प्रेरित है)
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09-04-2011, 08:11 AM | #3 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
जॉन मैक्नेरो विवादों में फसें हुए थे, उन्होंने wimbledon के अफसरों के साथ जम कर गाली गलौज की थी. अमेरिकी डॉलर के भाव तब लगभग १० रुपैये था और ब्रितानी पौण्ड १५ रुपैये का हुआ करता था, अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन इंदिरा गाँधी को अपने रक्षा नीतियों का ब्यौरा दे रहे थे. और तब एक ही तेंदुलकर प्रसिद्ध थी, प्रिया तेंदुलकर.
उन्ही उलझनों और रोज़मर्रा ज़िन्दगी के बीच एक दिन कुछ ऑटो रिक्शा वाले मुंबई (तब बम्बई) के मरीना बीच पर २५ जून, १९८३ को देसी दारु पी रहे थे और गुब्बारे फोड़ रहे थे. अरे भाई ऐसा क्या हो गया था.
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09-04-2011, 08:31 AM | #4 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
१२ रुपैये एक बिएर की देने के बाद भी कुछ रेजगारी आपको वापिस मिल जाती थी. मद्रास से बंगलौर तक का हवाई जहाज़ का किराया २०१ रुपैये होता था. लन्दन जाने के लिए वीसा की जरुरत नहीं होती थी. अपने धोनी चलना सीख रहे थे. घर में टीवी होना शानो-शौकत की निशानी होती थी. मुंबई का जुहू बीच युवाओ के लिए प्रणय-रस लेने लिए पसंदीदा स्थान हुआ करता था, जहा प्रेमी जोड़े साथ बैठा करते थे, लड़की के साडी के आँचल से प्रेमी युगल दुनिया के नज़रो से छिप जाते थे.
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09-04-2011, 08:35 AM | #5 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
आप यह सोच रहे होंगे की यह क्या बकवास है, आख़िरकार इतनी लंबी भूमिका क्यो बाँधी जा रही है. माफ़ कीजिए, बात दरअसल यह थी की भारत की टीम वर्ल्ड कप क्रिकेट जीत गयी थी. और मैने बस ज़रा उस वक़्त की झलकिया आपको दिखाई है.
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09-04-2011, 08:43 AM | #6 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
इससे पहले की पाठक मुझपर टमाटर फेंके, मैं यह बोलना चाऊँगा की उस दिन की हरेक बात अलग थी, स्पेशल थी. उस दिन भारतीय क्रिकेट की किस्मत बदल गयी थी, यह एक नये और रोमांचक सफ़र का आगाज़ था. वो दिन कुछ ऐसा है था जैसे की केनेडी को गोली लगने वाला दिन, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तबाई वाला दिन, या मोहम्मद अली द्वारा फोरमॅन को हराने वाला पल. २५ जून, १९८३ इतिहास में कुछ खास है, क्या दिन था वो!
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12-05-2011, 07:59 PM | #7 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
हम भी अपना चिंतन इधर ही पोस्ट करे का! या रहने दो, अभिषेक भाई को थोड़े और थैंक्स मिलने दो!
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12-05-2011, 09:01 PM | #8 | |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
Quote:
यार यही कर दो. ऐसा क्या थ्रेड का नाम बदल देंगे.. तेरे लिए कोई बात है पगले.
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15-05-2011, 08:35 AM | #9 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
बैसे भाई आज आप चिन्तन करोगे क्या
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15-05-2011, 08:44 AM | #10 |
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Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
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