|
04-12-2012, 11:11 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
उर्दू की मज़ाहिया शायरी
मित्रो, इस सूत्र में मैं उर्दू की मज़ाहिया (हास्य) और तंज़िया (व्यंग्य) शायरी पेश करूंगा। दिक्कत सिर्फ यह है कि इस तरह का कलाम इस कदर बेतरतीब है और इधर-उधर बिखरा हुआ है कि उसे सिलसिले में ढालना और उनके रचनाकारों की तलाश खुद एक दुष्कर कार्य है। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि सृजन के साथ रचनाकार का नाम भी हो, लेकिन मुझे हासिल हुईं ज्यादातर रचनाएं अपने जनक के इस्मे-शरीफ से वंचित हैं, अतः उनके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। उम्मीद है, मेरा यह प्रयास आपको न सिर्फ गुदगुदाएगा, बल्कि रुचिकर भी लगेगा। धन्यवाद।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
04-12-2012, 11:19 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
1.
मिल के खाया जो मिला आधा इधर आधा उधर माल चोरी का बंटा, आधा इधर आधा उधर बीवियों ने कर लिया तकसीम शौहर इस तरहा सौतनों में बंट गया, आधा इधर आधा उधर इक अदद बीवी भी है और इक अदद माशूक भी प्यार का है सिलसिला आधा इधर आधा उधर कल कस्टम अफसरों ने कह के ये जाने दिया तू भी खा हमको भी खिला आधा इधर आधा उधर बाप उन का है मुसलमां और बीवी है ईसाई दीन बच्चों का हो गया आधा इधर आधा उधर
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
04-12-2012, 11:29 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
2.
बाग़ जाने का मज़ा जाता रहा घास खाने का मज़ा जाता रहा बॉस ने छुट्टी की अरज़ी फाड़ दी गिडगिडाने का मज़ा जाता रहा हो गया आखिर उसी गुल से निकाह गुल खिलाने का मज़ा जाता रहा निकली बेगम भी कराटे चैम्पियन घर बसाने का मज़ा जाता रहा जब से आई है कमर में मेरी चूक नाज़ उठाने का मज़ा जाता रहा दूसरी बीवी मिली भी तंदहू दनदनाने का मज़ा जाता रहा
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु Last edited by Dark Saint Alaick; 04-12-2012 at 11:33 PM. |
04-12-2012, 11:44 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
3.
मुश्किल है मच्छरों से कोई जाय है बच कर इक दुबले पतले शख्स को देखे कोई मच्छर ये सोच के रुक जाता है दम भर को बेचारा शादी शुदा है या अभी तक है कंवारा चूसा है खून बीवी ने गर शादी शुदा है गर है कंवारा तो दिलबर से जुदा है ढांचा दिखाई देगा निकालें जो एक्स रे खून इसका बन गया है इनकम टैक्स रे फ़िक्रों ने खा लिया है इसे पूरा नौंच के इक बूंद भी न मिलेगी इसको टौंच के हमला करूं इस पे तो आऊंगा हार के शर्मिन्दा न हो जाऊं कहीं डंक मार के
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
05-12-2012, 07:41 AM | #5 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
बहुत बढ़िया अलैक जी, मस्त सूत्र है। रेप++
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
25-04-2014, 10:37 PM | #6 | |
Junior Member
Join Date: Apr 2014
Posts: 4
Rep Power: 0 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
Quote:
|
|
25-04-2014, 10:43 PM | #7 |
Junior Member
Join Date: Apr 2014
Posts: 4
Rep Power: 0 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
मुझे याद इस अधूरे शेर को कोई पूरा कर दे
मेरी ... .............को जाहिद न छेड़ तू, औरों की तुझ को क्या पड़ी अपनी निबेड तू. शुक्रिया. डीके Last edited by डीके; 25-04-2014 at 10:48 PM. |
25-04-2014, 11:48 PM | #8 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
Quote:
रिन्द-ए-ख़राब हाल को ज़ाहिद न छेड़ तू तुझको पराई क्या पड़ी अपनी निबेड़ तू इस ग़ज़ल में या हुल्लड़ मुरादाबादी की इसी ज़मीन पर लिखी गई पैरोडी में ऐसा मतला नहीं दिखाई देता जैसा आपने पूछा है. धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
05-12-2012, 11:04 PM | #9 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
.....बाग में जाने का मजा जाता रहा,
घास खाने का मजा जाता रहा.... .....फिक्रों ने खा लिया है इसे पूरा नोच के, इक बूँद भी न मिलेगी इसको टोंच के..... सेंट अलैक जी, इन मज़ाहिया रचनाओं को पढ़ कर मन प्रफुल्लित हो गया. रोज़ ब रोज़ ऐसी मज़ाहिया ग़ज़लें / नज्में पढ़ने को मिलती रहें तो हर व्यक्ति तनाव से अपना बचाव कर सकता है. एक कविता मुलाहिज़ा हो: भय निर्भय का खेल अनूठा, भय विहीन निर्भय भी ठूँठा. अरे निडर में भी तो डर है, डर से मुक्त नहीं लीडर है. बेघर के भीतर भी घर है, घर से दूर नहीं कटघर है. अक्षर के अंतर में क्षर है, डटा आचार में जैसे चर है. निर्विकार में भी विकार है,बिन आकार न निराकार है. बैठा हुआ अमन में मन है, बसा अचेतन में चेतन है. (रचना: नत्थूलाल सराफ) Last edited by rajnish manga; 06-12-2012 at 09:11 PM. |
12-12-2012, 10:23 PM | #10 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182 |
Re: उर्दू की मज़ाहिया शायरी
4.
लबों पे आके कुल्फी हो गए अशआर सर्दी में ग़ज़ल कहना भी अब तो हो गया दुश्वार सर्दी में मोहल्ले भर के बच्चों ने धकेला सुब्ह दम उसको मगर होती नहीं स्टार्ट अपनी कार सर्दी में मई और जून की गरमी में जो दिलबर को लिक्खा था उस ख़त का जवाब आया आखिरकार सर्दी में दवा दे-दे के खांसी और नजले की मरीजों को मुआलिज़ खुद बेचारे पड़ गए बीमार सर्दी में कई अहले-नज़र इस को भी डिस्को की अदा समझे बेचारा कंपकंपाया जब कोई फनकार सर्दी में ये ही तो चोरियों और वारदातों का ज़माना है कि बैठे तापते हैं आग पहरेदार सर्दी में लहू को इस तरह अब गरम रखता है मेरा 'शाहीन' कभी चाय, कभी सिगरेट, कभी नसवार सर्दी में
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
Bookmarks |
|
|