14-05-2016, 08:50 PM | #141 |
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Re: शायरी में मुहावरे
यादों को दफ़नाने से भी क्या होगा. (सुरेंद्र चतुर्वदी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
14-05-2016, 08:58 PM | #142 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा: जहाँ आँख खुली वहीं सवेरा
एक दिन जब मेरी खुली आँखें बस तभी से हुआ सवेरा है (महेश कटारे ‘सुगम’)
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14-05-2016, 09:04 PM | #143 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > सर पटकना = परेशान होना
मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर पहुँच कर चैन पाते हैं वो मौजें सर पटकती हैं जिन्हें साहिल नहीं मिलता मखदूम दहलवी
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14-05-2016, 09:36 PM | #144 |
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Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > साँसें उखड़ना = बहुत थक जाना
मैं मंज़िल के निशाँ कभी के छू लेता लेकिन रस्तों की भी उखड़ी साँसें थीं !! यूसुफ रईस
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23-05-2016, 12:24 PM | #145 |
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Re: शायरी में मुहावरे
शायरी में मुहावरे पहले कभी नहीं पढ़े थे भाई नई जानकारी मिली हमें .. यह तो बहुत बहुत अच्छी जानकारी है .. धन्यवाद सह आभार भाई
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15-02-2018, 11:09 AM | #146 |
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Re: शायरी में मुहावरे
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26-06-2018, 12:13 AM | #147 |
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Re: शायरी में मुहावरे
'असद' ख़ुशी से मिरे हाथ पाँव फूल गए
कहा जो उस ने ज़रा मेरे पाँव दाब तो दे मिर्ज़ा ग़ालिब सर उड़ाने के जो वादे को मुकर्रर चाहा हँस के बोले कि तिरे सर की क़सम है हम को मिर्ज़ा ग़ालिब ** छानी कहाँ न ख़ाक न पाया कहीं तुम्हें मिट्टी मिरी ख़राब अबस दर-ब-दर हुई भारतेंदु हरिश्चंद्र ** आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था मिर्ज़ा ग़ालिब ** इतना समझ चुकी थी मैं उसके मिज़ाज को वो जा रहा था और मैं हैरान भी न थी Parveen Shakir
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