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#2 |
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कसाब को काटने वाला डेंगू मच्छर राष्ट्रीय कीड़ा घोषित
सरकार ने सोमवार को डेंगू मच्छर को 'राष्ट्रीय कीड़ा' घोषित कर दिया। देश के लाखों लोगों द्वारा मिले अनुरोध के बाद प्रधानमंत्री ने 24 घंटों के अंदर-अंदर यह कदम उठाने का फैसला किया। दरअसल, डेंगू मच्छर द्वारा काटे जाने के बाद 26/11 मुंबई हमलों में पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब को डेंगू बुखार हो गया है। रविवार को कसाब को डेंगू होने का पता चला।
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#3 |
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कसाब को डेंगू होने की खबर इतनी तेजी से फैली कि देशभर में, सोशल साइट्स, न्यूज चैनलों सभी जगह इसी बारे में चर्चा होने लगी। किसी का कहना था कि कसाब को सजा देने में इतना विलंब करना शायद मच्छरों को भी नहीं पसंद आया, तो किसी का कहना था कि देश की सुस्त न्याय पालिका को देख मच्छरों को भी शर्म आ गई और उन्होंने मामला अपने हाथ में ले लिया। इसी सब के बीच एक न्यूज चैनल ने जनता से एसएमएस पोलिंग के जरिए पूछा कि क्या अब भी लोग डेंगू मच्छरों को गालियां देंगे या उन्हें 'राष्ट्रीय कीड़ा' कहलाना पसंद करेंगे। इस पर जनता का जवाब चौंका देने वाला था। आपको बता दें कि 90% जनता ने डेंगू को राष्ट्रीय कीड़ा बनाने के पक्ष में वोट किया।
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#4 |
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जनता की इस उत्साहित प्रतिक्रिया को देखते हुए प्रधानमंत्री ने 24 घंटों के अंदर-अंदर डेंगू मच्छर को राष्ट्रीय कीड़ा घोषित करने का निर्णय ले लिया। प्रधानमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें जनता का उत्साह देखकर बहुत अच्छा लगा और अब वह भी उस डेंगू मच्छर की समाधि भी बनवाने चाहते हैं क्योंकि कसाब जैसे आतंकी का खून पीकर वह भी अब जिंदा नहीं रहा होगा, इसलिए उसकी शहीदी के लिए वह उसकी समाधि बनवाना चाहते हैं
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#5 |
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किस जानवर पर किस नेता का नाम
ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बंदर कहा है। ऐसा उन्होंने एक मुहावरे के आधार पर किया कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। बरखा सिंह ने बताया कि एक बार वह महिलाओं की स्थिति पर चर्चा के लिए नरेंद्र मोदी से मिली थीं। वहां अदरक वाली चाय मंगवाई गई। बरखा को तो चाय बड़ी पसंद आई लेकिन मोदी जी ने उस पर छी छी कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी जी को अदरक का स्वाद पसंद नहीं है। यह बात बरखा के मन में रह गई। और आज मौका मिलते ही उन्होंने बता दिया कि मोदी बंदर हैं क्योंकि वह अदरक का स्वाद नहीं जानते।
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#6 |
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लेकिन बरखा के लिए यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने किसी नेता की तुलना जानवर से की है। यह उनका पसंदीदा विषय है और उन्होंने इस पर एक शोध कर रखा है कि किस नेता की तुलना किस जानवर से की जा सकती है। उन्होंने पूरी एक सूची तैयार की है जिसमें मुहावरों और गुणों के आधार पर विभिन्न नेताओं की जानवरों से तुलना की गई है। यह सूची नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के रिपोर्टर झूठे लाल चुराकर लाए हैं। पेश है पूरी सूची
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#7 |
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बंदर - नरेंद्र मोदी (बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद)
बूढ़ा घोड़ा - एनडी तिवारी (बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम) मिट्ठू तोता - मनमोहन सिंह (अपने मुंह मियां मिट्ठू) ऊंट - सलमान खुर्शीद (ऊंट के मुंह में जीरा) मोरनी - प्रियंका गांधी (जंगल में मोर नाचा किसने देखा) मगरमच्छ - सोनिया गांधी (जल में रहकर मगर से कोई वैर नहीं लेता) गीदड़ - बाबा रामदेव - (गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है) चूहे का बच्चा - दिग्विजय सिंह (चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है) बिल्ली - ममता बनर्जी - (बिल्ली को जलेबियों की रखवाली) बिल्ला - ओम प्रकाश चौटाला (नौ सौ चूहे खाकर बिल्ला हज को चला) मछली का बच्चा - अखिलेश यादव (मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है) बूढ़ा बैल - लाल कृष्ण आडवाणी (सींग कटाकर बछड़ों से मिलना)
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#8 |
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सोनिया-मनमोहन ने किया रावण को मारने से इनकार
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#9 |
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दिल्ली के रामलीला मैदान में जब रावण फूंका जाएगा तो तीर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं चलाएंगे। उन्होंने रावण पर तीर चलाने इनकार कर दिया है। ऐसे में हो सकता है अरविंद केजरीवाल को तीर चलाने के लिए बुलाया जाए।
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि सब ओर से सरकार को भ्रष्ट कहा जा रहा है और भ्रष्टाचार का पुतला रावण के नाम पर फूंका जा रहा है। ऐसे में सरकार अपना ही पुतला कैसे फूंक सकती है।
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#10 |
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बयान में कहा गया है कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह रावण दहन समारोह में शामिल जरूर होंगे, लेकिन दहन के वक्त वे अपनी आंखों पर पट्टी बांध लेंगे ताकि उन्हें यह सब देखना न पड़े। प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया है कि आंखों पर पट्टी बांधने में मनमोहन सिंह को ज्यादा तकलीफ नहीं होती क्योंकि वह खुली आंखों का इस्तेमाल भी कुछ देखने के लिए नहीं करते।
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