![]() |
#1 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]() जब सच कहो तो कितना बुरा मानते हैं लोग क्यों बे वजा सुनाये आलम अपने दिल का यहाँ यहाँ गैरो के आंसुओ को भी झूठा मानते है लोग सुना सुनाया भर है कि खुदा दिलों मे बसता है देखा तो ये कि दौलत को खुदा मानते है लोग चुस्त है बहुत लोगों के जज्बात यहाँ आजकल क्या बताये अब इन्हें नहीं कहा मानते है लोग शामिल तो हो जाते है सब जनाजे की भीड़ मे फब्तियों मे कहाँ मुर्दे को मरा मानते है लोग चाह बेइंतिहा हो गई है बुलंदियों को पाने की 'रौनक' रास्ता हो गर बद से बुरा तो भी भला मानते है लोग दीपक खत्री 'रौनक |
![]() |
![]() |
![]() |
#2 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
प्यास
==== प्यास कितनी अनोखी कितनी खास बहुत अनमोल बुरी सी भी है अच्छी भी है एक आस सी बहुत ही खास सी मगर अब तो बदली बदली सी है ये इसके मायने भी अहसास भी आयाम भी फिर भी बेहद है लाजवाब ये अनोखी बहुत ये प्यास दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#3 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
जलवे जहान का आलम क्या खूब है
जीस्त दर जीस्त इस आलम मे चूर है परवाह अब कहाँ किसी को गुमनामी की 'रौनक' यहाँ हर कोई मसरूफ दिखने मे मशहूर है दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#4 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
ए वक़्त क्या तू किसी का हुआ है
गर नहीं तो वो किस गुमान मे है मिट्टी का नसीब तो मिट्टी है 'रौनक' ये तलवार तो हर एक मयान मे है दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#5 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
खो गए हम तेरे ख्याल-ए-इश्क मे
बह रही है जीस्त मेरी अश्क अश्क मे आरजू बदल रही फिजा के साथ साथ निकल रहा है दम यहाँ क़िस्त क़िस्त मे बदल रही है श्कल दिन-ब-दिन जिन्दगी दम-बा-दम हो गया गुमनाम अश्क मे मिटा रहा है दाग इधर जीस्त से आदम हो रहा है जुर्म नुमू हर एक अक्स मे उड़ रहा धुआं यहाँ ख्याल-ए-खास पर भरा हुआ है गम बहुत हर एक अश्क मे जल रही है चिता सी 'रौनक' की जिंदगी हो रहा फ़ना यहाँ मै क़िस्त क़िस्त मे दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#6 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
यूँ कांच के खिलौने सा टूट जाऊंगा मै
तेरे हाथों मे टुकड़ो सा बिखर जाऊंगा मै ना खेल यूँ मेरी हसरतों से तू 'रौनक' पलटा कहीं तो ना लौट कर आऊंगा मै दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#7 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
इन लटों को रुख से हटाने दे जरा,
दीदार-ए-हुश्न तो हो जाने दे जरा, मिटती नहीं प्यास क्यों जिस्त की 'रौनक' लबों को लबों से मिल जाने दे जरा.... दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#8 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
युंही गर बढती गई तेरी दहशत प्रिय
तो सबक तुझको खूब सिखायेगें हम पूरे करेगें ख्याल और ख्वाहीश 'रौनक' पटा के नई आइटम घर ले आयेगें हम दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#9 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
क्यों मुझ को बुरा बताते है लोग
क्यों खुद को अच्छा जताते है लोग मै तो आईना हूँ चेहरा दिखाता हूँ 'रौनक' क्यों मुझसे चेहरा छुपाते है लोग..... दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
#10 |
Member
![]() ![]() Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 ![]() ![]() ![]() |
![]()
तराना गुनगुनाएंगे
दिल से मुस्कुराएंगे नगमे भी सुनाएंगे अगर तुम कहो आरजू रखेंगे तेरी इबादत करेंगे तेरी तारीफ करेंगे तेरी अगर तुम कहो हर लम्हा तेरे नाम होगा मोहब्बत मेरा काम होगा नशे में हरएक जाम होगा अगर तुम कहो अगर तुम कहो दीपक खत्री 'रौनक' |
![]() |
![]() |
![]() |
Bookmarks |
|
|