22-08-2013, 12:00 AM | #11 | |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
रुदादे-ग़में उल्फत उनसे, हम क्या कहते क्योंकर कहते इक हर्फ़ न निकला होठों से, और आँख में आंसू आ भी गये इस महफिले- ऐशो-इशरत में, इस अंजुमने-इरफानी में सब जाम बकब बैठे ही रहे हम पी भी गये छलका भी गये |
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अन्ताक्षरी, कविता, गजल, गीत, शायरी, शेर, antakshari |
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