28-09-2011, 02:21 PM | #11 |
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Re: कुंवर बेचैन की रचनाएँ
पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है
पर तू ज़रा भी साथ दे तो और बात है चलने को एक पाँव से भी चल रहे हैं लोग पर दूसरा भी साथ दे तो और बात है
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ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें ! आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....! love is life Last edited by bhavna singh; 28-09-2011 at 02:33 PM. |
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