18-10-2011, 11:10 AM | #1 |
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उल्लुं शरणं गच्छामि…उल्लू की खिदमत में खडì
जी हां जनाब बात ही है ये रोने की। कि ऐसी लागी नजर कुटिल जादू-टोने की। कि हमारा देश जो कभी चिड़या थी सोने की,उसे डकार गया उल्लू राजनीति का और अब दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ती, उस सुनहरी चिड़िया की निशानी। अब तो गांव,शहर, प्रदेश में,संपूर्ण देश के परिवेश में भाजपा,सपा,बसपा या कांग्रेस में यत्र-तत्र-सर्वत्र सब जगह उल्लुओं का ही गुनगान है क्योंकि सत्ता की लक्ष्मी आजकल इन्हीं पर मेहरबान है। इसलिए ही इनकी एक जेब में जनमत और दूसरी जेब में संविधान है। उल्लू ही आज पार्टी सुप्रीमो है,पार्टी हाईकमान है। चिड़िया को भूल जाओ, उल्लू की खिदमत में खड़ा आज पूरा हिंदुस्तान है।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
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