14-11-2011, 07:33 PM | #11 |
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Re: कतरनें
50वें साल में प्रवेश कर गया यसुदास का गायन कैरियर
तिरूअनंतपुरम ! भारतीय संगीत के दिग्गज के जे यसुदास ने पार्श्वगायक के तौर पर आज 50 वें साल में प्रवेश कर लिया। उन्होंने विभिन्न भाषाओं में 50,000 से अधिक गीतों के लिए अपने स्वर दिये हैं जिसमें उनकी मातृभाषा मलयालम भी शामिल है। यसुदास ने सबसे पहले 14 नवंबर 1961 को एक संत-सुधारक श्रीनारायन गुरू की एक कविता की चार पंक्तियों को गुनगुनाया था। इस गीत को मलयालम फिल्म ‘कलप्पडुकल’ में लिया गया था जिसका संगीत एम बी श्रीनिवास ने दिया था। उस समय देश के सबसे अधिक सुने जाने वाले गायकों में शामिल यसुदास के सैकड़ों ऐसे गीत हैं जो आज भी लोगों को उनके मधुर स्वर के कारण बार-बार याद आते हैं। मलयालम के अलावा, तमिल, हिन्दी, तेलगु, कन्नड़, बंगाली, गुजराती जैसे क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं में रशियन, अरबी, लैटिन और अंग्रेजी भाषाओं में भी गायिकी की है। संगीत समीक्षकों के मुताबिक, यसुदास की आवाज में इतनी मिठास होने का कारण उनका अभ्यास, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत है। यसुदास की आवाज में काफी विविधता है जिसके कारण उन्होंने विविध प्रकार के गीत गाये। महान गायक यसुदास ने तीन पीढियों की महिला गायिकाओं के साथ युगलबंदी की है जिसमें से कई कलाकार जैसे पी सुशीला एस जानकी, पी लीला, वानी जयराम, चित्रा और सुजाता मशहूर गायिका रही हैं। यसुदास ने महान संगीतकारों जैसे डी देवराजन, एम एस बाबूराज, के राघवन, एम एस विश्वनाथन और एम के अर्जुन के लिए गीत गया है। उन्हें गायकी के लिए सात बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का राष्ट्रीय पुरस्कार का खिताब दिया गया है। मलयालम, तमिल, कन्नड, तेलगु और बांगला जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में गायन के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक लिए उन्होंने राज्य पुरस्कार से नवाजा गया है।
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