09-11-2010, 08:50 PM | #1 |
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! आशिकाना शायरी !
! आशिकाना शायरी !
मौसम है आशिकाना। ऐ दिल कहीं से उनको। ऐसे में ढूढ़ लाना। कहना है की रुत जवा है लेकिन हम तरस रहे हैं। काली घटाओ के साए विरहन को डस रहे हैं। डर हैं न मार डाले सावन का क्या ठिकाना। सूरज कहीं भी जाए। तुम पर न धुप आए। तुमको पुँकारते हैं। इन गेसुओं के साए। आ जाओ में बना दूँ। पलको का शामियाना। मोसम है आशिकाना। ऐ दिल कहीं से उनको । ऐसे में ढूढ़ लाना, फिरते हैं हम अकेले। बाहों में कोई लेले।, आख़िर कोई कहाँ तक। तन्हाई से खेले। दिल हो गई हैं जालिम। रातें हैं कातिलाना। यह रात ये खामोशी। यह खवाब से नज़ारे। जुगनू है या जमीं पे। या उतरे हुए हैं तारे। बेखाब मेरी आँखें। मदहोश है जमना। मौसम है आशिकाना। ऐ दिल कहीं से उनको । ऐसे में ढूढ़ लाना। |
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