12-11-2010, 10:14 AM | #1 |
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प्रेम, प्रणय और धोखा
ज़िंदा है शाहजाहाँ की चाहत अब तक, गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक ! जाकर देखो इक बार ताज को दोस्तों, पत्थर पत्थर से टपकती है मुहब्बत अब तक !!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
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