29-04-2012, 09:49 PM | #1 |
Diligent Member
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मैं धरती हिंदुस्तान की
मैं धरती हिंदुस्तान की ,मैं आज भी गुलाम खड़ी हूँ !
अंग्रेजों की कैद से छुटके , अपनों की कैद में पड़ी हु ! अंग्रेजो से लड़के मेरे पुत्रों ने आज़ाद कराया. फिर अपने ने ही मुझे लूट लूट के खाया .. रिश्वत और भ्रस्टाचार की बेडी में मैं आज भी जड़ी हूँ ! 200 साल मैं अंग्रेजो की झूठा खाया . मेरे पुत्र वीरों ने मुझे कैद से छुड़ाया.. आज के ये नेता क्या जाने ,मैं कौन सी आग में सड़ी हूँ ! वीर पुत्रों की कुर्बानी को मैंने अभी नहीं था भुलाया . इन कुर्सी के भूखे लोगों ने मुझे फिर से सूली चढ़ाया .. एक बार फिर से मैं अपने पुत्रों के हाथों गयी हडी हूँ ! पाकिस्तान बना के दो हिस्सों में जब मैं बाँट दी गयी. मेरी दोनों बाहें जालिमों के हाथों काट दी गयी .. धरती ऊपर दी खींच लकीरें, दो हिस्सों में मैं बंडी हूँ आज़ादी के झूठे अग्वे कुर्सी सरताज हो गए . शहीदों के वंशज रोटी के मोहताज हो गये.. ".नामदेव् " हालत देख आज शहीदों की, मैं धरती में आज गडी हूँ जड़ी=जकड़ी सड़ी=जली बंडी=बंटी अग्वे=अगवाई करने वाले हडी=ठगी गयी Last edited by sombirnaamdev; 30-04-2012 at 08:11 AM. |
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