29-07-2012, 12:40 AM | #11 |
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Re: ब्लॉग वाणी
मैं मन मार, हूं इस पार
-अनु सिंह चौधरी एक दोस्त थी मेरी। थी क्योंकि अब उससे कोई सरोकार नहीं। मस्त-मलंग। दुनिया की फिक्र नहीं। उंगलियां उठाने वालों की परवाह नहीं। उसने किया वो जो दिल ने चाहा। हथेली पर दिल लेकर घूमने वालों को ठोकरें भी बड़ी मिलती हैं। दिल टूट जाने का खतरा भी बना रहता है। जाने कितनी बार टूटी। जाने कितनी बार सहेजा खुद को। हमने भी तोड़ा होगा एक-दूसरे का दिल। जन्म-जन्मांतर की दोस्ती के वायदे करने के बाद भी भरोसे को बचा नहीं पाए होंगे एक-दूसरे के। हम एक ही शहर में हैं लेकिन जुदा हैं एक-दूसरे से। मैंने कई बार फोन बदला है। कई बार गैर-जरूरी नंबरों से फोनबुक खाली किया है। एक उसका नंबर नहीं मिटता। उसको फोन उठाकर नहीं कह पाती कि याद आया करती हो तुम। हम साथ होते हुए भी एक-दूसरे से इतने जुदा कैसे हो जाते हैं? हो ही तो जाते हैं क्योंकि एक ही घर में अजनबी हो जाते हैं दो इंसान। भाई-भाई में जन्मों की दुश्मनी हो जाती है। परिवार विघटित हो जाते हैं। घर टूट जाता है। रिश्ते बिखर जाते हैं। इन सभी की जड़ एक अहं होता है जो टूटता ही नहीं। जाने किस पत्थर का बना होता है हमारा अभिमान। अहं ही आड़े आ रहा है कि फोन नहीं कर पा रही हूं उस दोस्त को। क्या कहूंगी? कैसे कहूंगी कि इतने सालों तक तुम्हें याद भी किया लेकिन तुम्हारे बिना जीने की ऐसी आदत पड़ गई है कि तुम हो ना हो कोई फर्क पड़ता नहीं। फिर भी पड़ता है। पहले प्यार को एक टीस बनाकर जिए जाने का दर्द भी ऐसा ही होता होगा। शायद बचपन की दोस्त को खो देने के जैसा। अहं आड़े आ जाता है और कई बार शुक्रगुजारी के तरीके भूल जाते हैं हम। कई बार साथ होते हुए भी कह नहीं पाते। ना होते तो क्या होता। मैं अपने अहं की वजह से सबसे भाग रही हूं इन दिनों क्योंकि कभी-कभी पलायन इकलौता रास्ता होता है। दर्द के तार में झूठी-सच्ची टीस के मोती गिनकर पिरोना जिन्दगी में रुचि बचाए रखता है क्योंकि उन्हीं के दम पर दिलफरेब कहानियां रची जा सकती हैं। पोस्ट लिखकर वाहवाहियां जमा की जा सकती हैं। ये सारी तकलीफें झूठी हैं। हमारी अपनी पैदा की है। हमारे अपने दिमाग की उपज। इसलिए क्योंकि दर्द में डूबा इंसान किसको दिलकश नहीं लगता? मन मारकर जीने वाली अपनी कहानियां सुनाकर सहानुभूतियां जमा कर सबसे मशहूर हुआ जा सकता है। कई दिलों में डेरा डाला जा सकता है आंसू बहाकर। अपनी दुख-गाथा सुनाकर सबसे ज्यादा दोस्त और हितैषी बना सकते हैं आप। कमजोर, टूटे हुए इंसान पर सबको प्यार आता है। सीधे तौर पर उससे खतरा सबसे कम होता है इसलिए। ट्रैजडी हिट होती है, ट्रैजिक एंडिंग वाली लव स्टोरी सुपरहिट। कह दो कि इतनी तकलीफ में हैं कि आस-पास उड़ते फिरते शब्दों को सलीके से एक क्रम में रख देना नहीं आ रहा तो सबसे ख़ूबसूरत कविता बनती है। इसलिए आओ झूठे-सच्चे दर्द जीते हैं। आंसुओं को बाहर निकालने के एकदम झूठे बहाने ढूंढते हैं। आओ रोना रोते हैं कि फिर बेमुरव्वत निकली जिन्दगी और हौसले ने तोड़ दिया है दम फिर से। आओ, दूर बैठे किसी ना मिल सकने वाले साजन की दुहाई देते हुए फिर से कच्चे-पक्के गीत लिखते हैं। आज की रात मेरे पास मेरी बचपन की दोस्त के ना होने का बहाना है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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