25-09-2012, 01:03 PM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
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जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे
जब भी मज़लूम के हाथों में नेवाले होंगे ; घात में उनकी कई छीनने वाले होंगे . अपनी बरक़त की तरफ़ कैसे बढ़ेगी ग़ुरबत ; जब अंधेरों की तिजोरी में उजाले होंगे . जो पाठशाला में रटा था उसमें लोच बना ; वर्ना दुनिया में तेरी जान के लाले होंगे . यूँ ही निकलोगे जो परदेश कमाने के लिए ; घर जो लौटोगे महज़ हाथ में छाले होंगे . आग कौमों के दरमियान जो रह - रह सुलगे ; उसकी बुनियाद में मस्ज़िद ओ शिवाले होंगे . तख़्त थर्राये , ऐसे राग छेड़ते हैं जो ; उनकी किस्मत में सदा देश - निकाले होंगे . आम लहज़े में ही जो आम आदमी की कहे ; उसके दुनिया में बहुत चाहने वाले होंगे . रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ . |
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