My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

 
 
Thread Tools Display Modes
Prev Previous Post   Next Post Next
Old 20-11-2010, 10:44 AM   #8
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: "हिन्दू काल गणना"

भारतीय गणित

भारत ही गणित का जन्मदाता है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का सारा प्रारम्भिक कार्य भारत में ही सम्पन्न हुआ। यह लेख यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि भारतीय उपमहाद्वीप में गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग उत्पन्न हुआ। गणित विज्ञान न केवल औद्योगिक क्राति का बल्कि परवर्ती काल में हुईं वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूंजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती।

विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है -

"practically all topics taught in school mathematics today are directly derived from the work of mathematicians originating outside Western Europe before the twelfth century A.D."

-- Joseph, George Ghevarughese, "Foundations of Eurocentrism in Mathematics," Race and Class, XXVII, 3(1987), p. 13-28.


भारतीय ग्रन्थों में गणित की महत्ता का प्रकाशन
वेदांग ज्योतिष में गणित का स्थान सर्वोपरि (मूर्ध्न्य) बताया गया है -

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा ।
तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि संस्थितम् ।। ( वेदांग ज्योतिष - ५)

( जिस प्रकार मोरों के सिर पर शिखा और नागों के सिर में मणि सर्वोच्च स्थान में होते हैं उसी प्रकार वेदांगशास्त्रों में गणित का स्थान ( सबसे उपर (मूर्धन्य) है।

इसी प्रकार,
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे ।
यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ — महावीराचार्य , जैन गणितज्ञ
( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता )
भारतीय गणित का इतिहास
सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया गया। रोम जैसे स्थानों में उन्हें वर्णमाला के अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया गया। यद्यपि आज हम अपनी दशमलव प्रणाली के अभ्यस्त हो चुके हैं, किंतु सभी प्राचीन सभ्यताओं में संख्याएं दशमाधार प्रणाली पर आधारित नहीं थीं। प्राचीन बेबीलोन में 60 पर आधारित प्रणाली का प्रचलन था।
ABHAY is offline   Reply With Quote
 

Bookmarks

Tags
अभय गणना


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 12:30 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.