27-10-2012, 12:46 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
मुक्तक
मुक्तक तेरे ग़म को मीत सजाया आँखों में. कितना सुन्दर सपन सजाया आँखों में. तेरा मिलना देखा है, तेरी जुदायी भी जानी, ग़रज तसव्वुर में तेरे दिन रात सजाया आँखों में. (२) तस्वीर तो है शीशे पे ये गर्द ही सही. मौसम भले हो ज़र्द तो ज़र्द ही सही. इस दिल को कुछ न कुछ तो बहरहाल चाहिए, खुशी मिले मिले ना मिले दर्द ही सही. (३) रवि रश्मि सी ये उष्ण और कोमल तुम्हारी याद है. संवेदना में एक दम मखमल तुम्हारी याद है. मृग तृष्णा के वृत में फंसे जैसे बटोही के, चिर पिपासु कंठ में ज्यों जल तुम्हारी याद है. (४) जब से देखा तुझे हमने, बहारों को नहीं देखा. ज़मी के ख़ाब देखे हैं, सितारों को नहीं देखा. तमन्ना मौज कि करते हैं तूफां से मुहब्बत में, हमें अरसा हुआ हमने किनारों को नहीं देखा. (५) हिंदी मेरी शाकुंतल है देश मेरा दुष्यंत . गहरा परिचय अमिट निशानी आकर्षण अत्यन्त. भुगत रहे हैं दोनों अपने शापजन्य परिणामों को जाने कब काली छाया का हो पायेगा अंत. (६) खुशियाँ गौने से पहले ही कैंसर से क्यों ग्रस्त हुयीं. विश्वासों की नौकाएं तूफानों में ध्वस्त हुयीं. जो भोर अबोध उगी थी काले अँधिआरे के खेत में, वो भोर लड़कपन की सीढ़ी तक आते आते अस्त हुयी. |
Bookmarks |
Tags |
गौना, मुक्तक रजनीश, रजनीश मंगा, jab se dekha, khushiyaan gaune se pahle, muktak, poetry of rajnish manga, ravi rashmi |
|
|