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Old 10-11-2012, 03:33 PM   #30
teji
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teji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to behold
Default Re: आधे-अधूरे - मोहन राकेश

पुरुष तीन : पूछो नहीं। यह कहो - गिंजा।
स्त्री : या यार्क्स ? वहाँ इस वक्त ज्यादा लोग नहीं होते।
पुरुष तीन : मैंने कहा न...
स्त्री : अच्छा, उस छोटे रेस्तराँ में चले जहाँ के कबाब तुम्हें बहुत पसंद हैं? मैं तब के बाद कभी वहाँ नहीं गई।
पुरुष तीन : (हिचकिचाट के साथ) वहाँ ? जाता नहीं वैसे मैं वहाँ अब। …पर तुम्हारा वहीं के लिए मन हो तो चल भी सकते हैं।
स्त्री : देखो एक बात तो बता ही दूँ तुम्हें चलने से पहले।
पुरुष तीन : (छल्ले छोड़ता) क्या बात?
स्त्री : मैंने...कल एक फैसला कर लिया है मन में।
पुरुष तीन : हाँ-हाँ ?
स्त्री : वैसे उन दिनों भी सुनी होगी तुमने ऐसी बात मेरे मुँह से...पर इस बार सचमुच कर लिया है।
पुरुष तीन : (जैसे बात को आत्मसात करता) हूँ ।
पल-भर की खामोशी जिसमें वह कुछ सोचता हुआ इधर-उधर देखता है फिर जैसे किसी किताब पर आँख अटक जाने से उठ कर शेल्फ की तरफ चला जाता है।
स्त्री : उधर क्यों चले गए ?
पुरुष तीन : (शेल्फ से किताब निकलता) ऐसे ही ।...यह किताब देखना चाहता था जरा।
स्त्री : तुम्हें शायद विश्वास नहीं आया मेरी बात पर ?
पुरुष तीन : सुन रहा हूँ मैं।
स्त्री : मेरे लिए पहले भी असंभव था यहाँ यह सब सहना। तुम जानते ही हो। पर आ कर बिलकुल-बिलकुल असंभव हो गया है।
पुरुष तीन : (पन्ने पलटता) तो मतलब है....?
स्त्री : ठीक सोच रहे हो तुम।
पुरुष तीन : (किताब वापस रखता) हूँ !
स्त्री उठ कर उसकी तरफ आती है।
स्त्री : मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि मुझे हमेशा कितना अफसोस रहा है इस बात का कि मेरी वजह से तुम्हें भी...तुम्हें भी इतनी तकलीफ उठानी पड़ी है जिंदगी में।
पुरुष तीन : (अपनी गरदन सहलाता) देखो...सच पूछो, तो मैं अब ज्यादा सोचता ही नहीं इस बारे में।
टहलता हुआ उसके पास से आगे निकाल आता है।
स्त्री : मुझे याद है तुम कहा करते थे, 'सोचने से कुछ होना हो, तब तो सोचे भी आदमी।'
पुरुष तीन : हाँ...वही तो।
स्त्री : पर यह भी कि कल और आज में फर्क होता है। होता है न
पुरुष तीन : हाँ...होता है। बहुत-बहुत।
स्त्री : इसीलिए कहना चाहती हूँ तुमसे कि....।
बड़ी लड़की अंदर से आती है।
बड़ी लड़की : ममा, अंदर जो कपड़े इस्तरी के लिए रखे हैं... (पुरुष तीन को देख कर) हलो अंकल !
पुरुष तीन : हलो, हलो !...अरे वह ! यह तू ही है क्या ?
बड़ी लड़की : आपको क्या लगता है ?
पुरुष तीन : इतनी-सी थी तू तो ! (स्त्री से) कितनी बड़ी नजर आने लगी अब
स्त्री : हाँ...यह चेहरा निकल आया है !
पुरुष तीन : उन दिनों फ्राक पहना करती थी... ।
बड़ी लड़की : (सकुचाती) पता नहीं किन दिनों !
पुरुष तीन : याद है, कैसे मेरे हाथ पर काटा था इसने एक बार ? बहुत ही शैतान थी ।
स्त्री : (सिर हिला कर) धरी रह जाती है सारी शैतानी आखिर ।
बड़ी लड़की : बैठिए आप । मैं अभी आती हूँ उधर से ।
अहाते के दरवाजे की तरफ चल देती है।
पुरुष तीन : भाग कहाँ रही है ?
बड़ी लड़की : आ रही हूँ बस ।
चली जाती है
पुरुष तीन : कितनी गदराई हुई लड़की थी ! गाल इस तरह फुले-फुले थे...
स्त्री : सब पिचक जाते हैं गाल-वाल !
पुरुष तीन : पर मैंने तो सुना था कि...अपनी मर्जी से ही इसने...?
स्त्री : हाँ, अपनी मर्जी से ही। अपनी मर्जी का ही तो फल है यह कि...
पुरुष तीन : बात लेकिन काफी बड़प्पन से करती है?...
स्त्री : यह उम्र और इतना बड़प्पन ?... हाँ, तो चलें अब फिर ?
पुरुष तीन : जैसा कहो ।
स्त्री : (अपने पर्स में रूमाल ढूँढ़ती) कहाँ गया ? (रूमाल मिल जाने से पर्स बंद करती है।) है यह इसमें...तो कब तक लौट आऊँगी मैं ? इसलिए पूछ रही हूँ कि उसी तरह कह जाऊँ इससे ताकि...
पुरुष तीन : तुम पर है यह। जैसा भी कह दो ।
स्त्री : कह देती हूँ-शायद देर हो जाए मुझे । कोई आनेवाला है, उसे भी बता देगी ।
पुरुष तीन : कोई और आनेवाला है ?
स्त्री : जुनेजा। वही आदमी जिसकी वजह से...तुम जानते ही हो सब । (अहाते की तरफ देखती) बिन्नी!(जवाब न मिलने से) बिन्नी! ...कहाँ चली गई यह ?
अहाते के दरवाजे से जा कर उधर देख लेती है और कुछ उत्तेजित-सी हो कर लौट आती है।
: पता नहीं कहाँ चली गई यह लड़की भी अब... !
पुरुष तीन : इंतजार कर लो ।
स्त्री : नहीं, वह आदमी आ गया तो, मुश्किल हो जाएगी । मुझे बहुत जरूरी बात करनी है तुमसे। आज ही। अभी ।
पुरुष तीन : (नया सिगरेट सुलगता) तो ठीक है। एट योर डिस्पोजल ।
स्त्री : (इस तरह कमरे को देखती जैसे कि कोई चीज वहाँ छूटी जा रही हो) हाँ...आओ ।
पुरुष तीन : (चलते-चलते रुक कर ) लेकिन...घर इस तरह अकेला छोड़ जाओगी ?
स्त्री : नहीं, अभी आ जाएगा कोई-न-कोई ।
पुरुष तीन : (छल्ले छोड़ता ) तुम्हारे ऊपर है जैसा भी ठीक समझो ।
स्त्री : (फिर एक नजर कमरे पर डाल कर) मेरे लिए तो...आओ
पुरुष तीन पहले निकल जाता है। स्त्री फिर से पर्स खोल कर उसमें कोई चीज ढूँढ़ती पीछे -पीछे। कुछ क्षण मंच खाली रहता है। फिर बाहर से छोटी लड़की के सिसक कर रोने का स्वर सुनाई देता है। वह रोती हुई अंदर आ कर सोफे पर औंधे हो जाती है। फिर उठ कर कमरे के खालीपन पर नजर डालती है और उसी तरह रोती-सिसकती अंदर के कमरे में चली जाती है। मंच फिर दो-एक क्षण खाली रहता है। उसके बाद बड़ी लड़की चाय की ट्रे के लिए अहाते के दरवाजे से आती है।
बड़ी लड़की : अरे ! चले भी गए ये लोग ?
ट्रे डायनिंग टेबल पर छोड़ कर बाहर के दरवाजे तक आती है , एक बार बाहर देख लेती है और कुछ क्षण अंतमुख भाव से वहीं रुकी रहती है। फिर अपने की झटक कर वापस डायनिंग टेबल की तरफ चल देती है।
: कैसे पथरा जाता है सिर कभी-कभी।
रास्ते में ड्रेसिंग टेबल के बिखराव को देख कर रुक जाती है और जल्दी से वहाँ की चीजों को सहेज देती है।
: जरा ध्यान न दे आदमी...जंगल हो जाता है सब।
वहाँ से हट कर डायनिंग टेबल के पास आ जाती है और अपने लिए चाय की प्याली बनाने लगती है। छोटी लड़की उसी तरह सिसकती अंदर से आती है।
छोटी लड़की : जब नहीं हो-होना होता, तो सब लोग होते हैं सिर पर। और जब हो-होना होता है तो कोई भी नहीं दि-दिखता कहीं।
बड़ी लड़की चाय बनाना बीच में छोड़ कर उसकी तरफ बढ़ आती है।
बड़ी लड़की : किन्नी ! यह फिर क्या हुआ तुझे ? बाहर से कब आई तू ?
छोटी लड़की : कब आई मैं ! यहाँ पर को- कोई भी क्यों नहीं था ? तू-तुम भी कहाँ थी थोड़ी देर पहले ?
बड़ी लड़की : मैं चाय की पत्ती लाने चली गई थी ।...किसने, अशोक ने मारा है तुझे ?
छोटी लड़की : वह भी क-कहाँ था इस वक्त ? मेरे कान खिंचने के लिए तो पता नहीं क-कहाँ से चला आएगा। पर ज-जब सुरेखा की ममी से बात करने की बात की थी, त-त्तो ?
बड़ी लड़की : सुरेखा की ममी ने कुछ कहा है तुमसे ?
छोटी लड़की : ममा कहाँ हैं ? मुझे उन्हें स-साथ ले कर जाना है वहाँ।
बड़ी लड़की : कहाँ ? सुरेखा के घर ?
छोटी लड़की : सुरेखा की ममी बुला रही हैं उन्हें। कहती हैं, अभी ले-ले कर आ।
बड़ी लड़की : पर किस बात के लिए ?
छोटी लड़की : अशोक को देख लिया था सबने हम लोगों को डाँटते। सुरेखा की ममी ने सुरखा को घ-घर में ले जा कर पिटा, तो उसने...उसने म-मेरा नाम लगा दिया।
बड़ी लड़की : क्या कहा ?
छोटी लड़की : कि मैं सिखाती हूँ उसे वे सब ब-बातें।
बड़ी लड़की : तो...सुरेखा कि ममी ने मुझे बुलाया इस तरह डाँटा है जैसे...पहले बताओ, ममा कहाँ हैं ? मैं उन्हें अभी स-साथ ले कर जाऊँगी। क-कहती हैं, मैं उनकी लड़की को बिगाड़ रही हूँ। और भी बु-बुरी बातें हमारे घर को ले कर।
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