14-11-2012, 09:06 AM | #1 |
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कमज़ोर - अन्तोन चेख़व
आज मैं अपने बच्चों की अध्यापिका यूल्या वसिल्येव्ना का हिसाब चुकता करना चाहता था।
"बैठ जाओ यूल्या वसिल्येव्ना।" मैंने उससे कहा, "तुम्हारा हिसाब चुकता कर दिया जाए। हाँ, तो फ़ैसला हुआ था कि तुम्हें महीने के तीस रूबल मिलेंगे, है न?" "जी नहीं, चालीस।" "नहीं, नहीं, तीस में ही बात की थी । तुम हमारे यहाँ दो ही महीने तो रही हो।" "जी, दो महीने और पाँच दिन।"
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