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Old 20-11-2012, 04:01 PM   #11
arvind
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Default Re: सफलता की सीढ़ी।

कम योग्य व्यक्ति भी बन सकता है पथ प्रदर्शक

एक पंजाबी कहावत है, जिसका सार है- जहां तक दिखाई दे, वहां तक जाओ, वहां पहुंचने पर और आगे का रास्ता दिखायी देगा. ज्यादातर सीनियर अपने अधीनस्थों को दो भागों में बांट कर रखते हैं. एक जो काफ़ी योग्य होते हैं और दूसरा, जो कम योग्य हैं.

अकसर जब काम देने, इंक्रीमेंट या तारीफ़ की बात हो, तो वह ज्यादा योग्य के हिस्से ही आता है. कम योग्य के हिस्से कुछ नहीं आता. ऐसा जब बार-बार होता है, तो वही व्यक्ति कुंठित हो जाता है और अपनी जगह कहीं और तलाशता है. आपने भी देखा होगा कि कोई व्यक्ति जो आपके यहां काम नहीं कर पा रहा है (या उसे काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा हो) वही दूसरी जगह बहुत बेहतर काम करके दिखा देता है.

यह अंतर क्यों हो जाता है? यह अंतर है माहौल का, यह अंतर है सोच का. अगर आप सीनियर हैं, तो आपको कम योग्य अधीनस्थों पर भी भरोसा करना चाहिए, ताकि वे हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश करें. धीरे-धीरे यही कम योग्य व्यक्ति संस्थान के लिए एसेट्स बन जायेंगे. आप भरोसा करके तो देखिए. कम योग्य व्यक्ति पर भरोसा नहीं करेंगे, उसे मौका नहीं देंगे, तो उसके पास जितनी योग्यता है, वह उतना भी काम करने में खुद को असक्षम मानेगा.

एक गांव में एक अंधा रहता था. उसने अपने को साध लिया था. वह गांव की सड़कों पर, पगडंडियों पर, यहां तक कि घरों में भी बिना गिरे-लड़खड़ाए चल सकता था. उस अंधे ने एक लालटेन खरीदी. गांव के कुछ लोग आश्चर्य में पड़ गये और कुछ मजाक बनाने लग गये कि अंधे को लालटेन का क्या काम?

अंधे से जब यह सवाल पूछा गया तो उसने जवाब दिया कि मुझे अपनी कमजोरियां पता है, इसलिए मै बहुत सावधानी से चलता हूं, लेकिन जो आंखवाले हैं, वे अंधेरे में असावधान होकर मुझसे टकरा जाते हैं. यह लालटेन मैंने उनके लिए खरीदी है.

कितनी सही बात है यह. अकसर क्षमतावान व्यक्ति असावधान या आलसी हो जाता है. अधिक योग्य व्यक्ति बहुधा अपनी योग्यता के दंभ में सामान्य तैयारी करना भी उचित नहीं समझता है. यहां तक कि कई बार प्राकृतिक, नैतिक, सामाजिक नियमों का पालन करना भी अपनी शान के खिलाफ़ समझता है और उसे तगड़ा झटका लगता है.

खरगोश कछुए की दौड़ में खरगोश की असावधानी उसकी हार का कारण बनी. यदि आपके पास योग्यता है तो उसका पूरा उपयोग मेहनत, लगन व ईमानदारी से करें. जिंदगी की दौड़ में आप सबसे आगे निकल पड़ेंगे. यदि आपके अधीनस्थों के पास योग्यता नहीं है, तो उन्हें डेमोरलाइज न करें, उन्हें रास्ता दिखाएं और उनकी बातों को भी गंभीरता से लें. कभी वे भी आपको रास्ता दिखा सकते हैं.

- बात पते की
* अगर आपके अधीनस्थों के पास योग्यता नहीं है, तो उन्हें डेमोरलाइज न करें, उन्हें रास्ता दिखाएं.
* अगर किसी में कम योग्यता हो, तो आपका भरोसा ही उसे ज्यादा योग्य बना सकता है.
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