01-12-2012, 03:32 PM | #11 |
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Re: जीवन्मुक्तलक्षण वर्णन
ब्रह्म के सूक्ष्म अणु में सृष्टि फुरी है सो क्या रूप है | ब्रह्म ही सृष्टि है और सृष्टि ही ब्रह्म है-ब्रह्म और जगत् में भेद कुछ नहीं परन्तु अज्ञाननिद्रा से भिन्न-भिन्न भासता है | रामजी ने पूछा, हे भगवन्! निद्रा का कितना प्रमाण है और कितने काल पर्यन्त रहती है? सूक्ष्म अणु में सृष्टि कैसी फुरी है और कैसे स्थित है? अणु में उसकी क्यों संज्ञा है और अनन्त क्योंकर है? जो देवता असुरादिक रूप को चित्त प्राप्त हुआ है वह क्या है? वशिष्ठजी बोले हे रामजी! अज्ञान निद्रा अपने काल में तो अनादि है और नहीं जानी जाती कि कबकी हुई है और अन्त भी नहीं जाना जाता कि कबतक रहेगा |
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
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