06-12-2012, 09:00 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं .
अरमानों का खून हुआ तो अश्क मेरे समझाते हैं.
रो न पगले ये मंज़र तो हर जीवन में आते हैं . मेरी दुनिया अंधियारी है साथ ग़मों की धुंध धुँआ है. बिखरे टूटे स्वर में खोया एक अधूरा सपना है . ठण्डी ठण्डी बाँहों से ग़म मुझको गले लगाते हैं. रो न पगले ...... कोई मेरे दुखते दिल को प्यार से थपकी दे जाता. काश मेरी यादों का दर्पण चुपके से कोई ले जाता. हम अपने भोले दिल को ये कह कर समझाते हैं. रो न पगले..... हो सकता है दिल की बातें दिल में मेरे रह जातीं और कसक की राम कहानी होठों तक भी न आती. कुछ अफ़साने हैं जो बनते बनते ही मर जाते हैं. रो न पगले..... |
Bookmarks |
Tags |
रजनीश मंगा, रो न पगले, poetry of rajnish manga, ro na pagle |
|
|