07-12-2012, 09:33 PM | #39 |
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Re: !!मेरी प्रिय कविताएँ !!
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे इस बूढे पीपल की छाया में सुस्ताने आएँगे| हौले-हौले पाँव हिलाओ जल सोया है छेड़ो मत हम सब अपने-अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे| थोडी आँच बची रहने दो थोडा धुँआ निकलने दो तुम देखोगी इसी बहाने कई मुसाफिर आएँगे उनको क्या मालूम निरूपित इस सिकता पर क्या बीती वे आए तो यहाँ शंख सीपियाँ उठाने आएँगे| फिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुम अनगिन झोंके उन घटनाओं को दोहराने आएँगे| रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी आगे और बढे तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे| मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे| हम क्यों बोलें इस आँधी में कई घरौंदे टूट गये इन असफल निर्मितियों के शव कल पहचाने जयेंगे| हम इतिहास नहीं रच पाये इस पीडा में दहते हैं अब जो धारायें पकडेंगे इसी मुहाने आएँगे| दुष्यंत कुमार
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