03-01-2013, 05:15 PM | #11 |
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Re: सुविचार
जिसमें सत्*य को सत्*य एवं असत्*य को असत्*य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्*यहित में विश्*वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्*यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्*त करना चाहिये - चाणक्*य नीति
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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