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Originally Posted by dipu
जयपुर.ड्रिप के जरिए ग्लूकोज तो कतरा-कतरा जिस्म में आ रहा है मगर हलक सूखा है। कई दिनों से पानी नहीं पीया। थक चुकी हूं हॉस्पिटल के बेड पर लेटे-लेटे। मेरी उम्र के बच्चे तो इंजेक्शन से भी डरते हैं और मैं हूं कि 11 ऑपरेशन की चुभन झेल चुकी हूं।
दर्द बयां करती ये मासूम सीकर की दामिनी है। साढ़े चार महीने पहले कुछ हैवानों की दरिंदगी का शिकार हुई 11 साल की मासूम हॉस्पिटल की चारदीवारी में कैद होकर रह गई है। शनिवार को मेजर ऑपरेशन हुआ था। कहा गया था ये आखिरी होगा पर ना जाने क्या गड़बड़ हो गई कि मंगलवार को फिर से ऑपरेशन करना पड़ा। बताते हुए दर्द आंखों से छलक उठा।
आंसू पोंछे और फिर से कहने लगी-पता नहीं मैं ठीक हो पाऊंगी भी या नहीं। मैंने मां को कह दिया है-अगर मैं मर गई तो भी मेरे गुनहगारों को फांसी दिलवाना। छूटने मत देना उन दरिंदों को।
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इस बच्ची के इलाज़ के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे ,लेकिन नतीजा वाही ढ़ाक के तीन पात !
आखरी ऑपरेशन के लिए दामिनी के परिजनों से डॉ से पूछा तो डॉ का दो टका जवाब था की कोई मंत्री जी कह कर गये है !
हाय रे हमारी बदकिस्मती ........