03-02-2013, 08:18 PM | #1 |
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पसंदीदा शेर/ मुक्तक/ कविता/ गजल/ या पद
बादल हवा की ज़द पे बरस कर बिखर गए,
अपनी जगह चमकता हुआ आफ़ताब है। नाहक ख़याल करते हो दुनिया की बात का, तुम को ख़राब जो कहे वो खुद ख़राब है। -बशीर बद्र
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
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