08-12-2010, 12:58 PM | #1 |
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!!मेरी प्रिय कविताएँ !!
मै पिंजर का तोता
उड़ता था मै नील गगन में अपने पंख पसारे मधुर गीत मै गाता था अपने प्रीतम के द्वारे जाने कौन घडी में किसने कैसा जाल बिछाया पल भर में न देर लगी खुदको पिंजर में पाया अब ...........मै पिंजर का तोता लोग देखकर मुझको कहते कितना प्यारा गाता है सोने के पिंजर में देखो सारे सुख पाता है पथिक मगर तुम अपने अंतर के अंतरपट को खोलो मेरे इन मधु गीतों को तुम विरह बात से तोलो क्यूंकि .......मै पिंजर का तोता . सोने के यह दर दरवाजे मेरे खातिर धेला है शान-ओ-शौकत, रिश्ते नाते मेरे खातिर मेला है "अंजना" कब कौन मुसाफिर मुझको ले जायेगा न जाने कब पिंजर तोता नील गगन पायेगा अब तो हूँ.........मै पिंजर का तोता
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
Last edited by Sikandar_Khan; 28-01-2012 at 02:15 PM. |
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