17-06-2013, 05:38 PM | #1 |
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मनोरम कहानियां
चोरी का मंत्रः शोलम
प्राचीन काल में किसी नगर में अहमद नाम का एक धनी व्यक्ति अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक रात आकाश में बदली नहीं थी और तारे बहुत अधिक थे। वे लोग अपने घर के आंगन में लेटे हुए थे। आकाश बड़ा सुंदर दिखाई दे रहा था और वह भोर तक जागना और तारों को निहारना चाहता था। वह व्यक्ति सोच में खोया हुआ था कि उसने एक आवाज़ सुनी। पहले तो उसे लगा कि उसे भ्रम हो रहा है किंतु कुछ ही क्षणों के पश्चात उसे पुनः आवाज़ सुनाई दी। उसने ध्यान दिया तो पता चला कि आवाज़ छत से आ रही थी। उसे विश्वास हो गया कि कुछ लोग छत पर एक दूसरे से बातें कर रहे हैं। उसने कान लगा कर सुनना चाहा कि क्या बातें हो रही हैं तो उसे पता चला कि चोरों का सरदार, अपने साथियों को चोरी की योजना सुना रहा था। वह कह रहा था कि ये तीन लोग हैं, एक बच्चा है और दो बड़े। हम बड़ी सरलता से घर में घुस कर जो चाहे ले जा सकते हैं। हममें से दो लोग, नीचे दरवाज़े के निकट खड़े हो कर गली का ध्यान रखेंगे। हममें से एक छत पर रहेगा और ऊपर का ध्यान रखेगा। मैं कमरे के भीतर जाऊंगा और सामान समेट कर लाऊंगा। बस इस बात का ध्यान रहे कि थोड़ी सी भी आवाज़ न हो। घर के मालिक ने चोरों की सारी बातें सुन ली थीं और उसे पता चल गया था कि चार लोग उसके घर में चोरी के लिए आए हैं जबकि वह अकेला है। उसे यह डर था कि यदि वह चिल्लाएगा तो चोर कहीं उसकी पत्नी और बच्चे को क्षति न पहुंचा दें। उसने सोचा कि चोरों के कुछ करने से पहले ही उसे कुछ न कुछ करना होगा। उसके मन में एक युक्ति आई। उसने धीरे से अपनी पत्नी को पुकारा। उसकी पत्नी ने पूछा कि क्या हुआ? समय क्या हुआ है? उसने कहा, कुछ नहीं, डरो नहीं, कुछ लोग छत पर हैं। पत्नी डर के मारे कांपने लगी और चिल्ला उठी, चोर! मदद करो! हमारी मदद करो! पति ने उसके मुंह पर अपना हाथ रख दिया और कहा, श्श्श! चुप रहो, डरो नहीं, बस मेरी बात सुनो। पत्नी ने कनखियों से छत की ओर देखा, उसे कोई दिखाई नहीं दिया। पति ने कहा कि वे लोग छज्जे पर हैं, न वे हमें देख सकते हैं और न हम उन्हें देख सकते हैं। सुनो, मेरे मन में एक युक्ति है, तुम ऊंची आवाज़ से, इस प्रकार से कि चोर भी सुन लें, मुझ से कुछ प्रश्न पूछो। जैसे यह कि इतना धन और इतनी संपत्ति मैंने किस प्रकार एकत्रित की है। उसकी पत्नी ने भय से कांपते हुए, उसकी बात स्वीकार कर ली और ऊंची आवाज? में कहा कि अहमद! वर्षों से हम एक साथ जीवन बिता रहे हैं, आरंभ में हमारा जीवन अच्छा नहीं था और हमारे पास आज जितने पैसे नहीं थे। मैं यह जानना चाहता हूं कि इतना धन और इतनी संपत्ति तुम कहां से लाए हो? पति ने भी इतनी ऊंची आवाज़ में चोर सुन लें, कहा कि मुझ से यह प्रश्न मत पूछो क्योंकि मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता। पत्नी ने कहा कि क्यों नही दे सकते, मैं तुम्हारी पत्नी हूं। यदि मुझे नहीं पता होना चाहिए तो किसे पता होना चाहिए? पति ने कहा अभी रहने दो मैं किसी और समय तुम्हें बता दूंगा, मुझे भय है कि कहीं कोई हमारी आवाज़ सुन रहा हो और उसे मेरे रहस्य का पता चल जाए। पत्नी ने कहा, रहस्य? कैसा रहस्य? यदि यह बात है और तुम्हारे जीवन में कोई रहस्य है तो तुम्हें मुझे तुरंत बताना होगा। पति ने कहा कि ठीक है बताता हूं किंतु शांत रहो। यह धन दौलत और संपत्ति जो तुम देख रही हो यह मैंने चोरी से एकत्रित की है। मेरे कार्य का रहस्य यह था कि जब मैं चांदनी रात में किसी धनी व्यक्ति के घर की छत पर चोरी के लिए जाता था तो सात बार शोलम, शोलम शब्द कहता था। उसके बाद बिना किसी समस्या के मैं घर में घुस जाता था और कोई भी मुझे नहीं देख पाता था और मैं कमरे में घुस कर जो भी वस्तु चाहता था उठा कर ले आता था। उस समय में पुनः सात बार शोलम शोलम कहता था और उसी स्थान से छत पर कूद जाया करता था। इस जादुई मंत्र से कोई भी मेरे आने जाने के बारे में जान नहीं पाता था और मैं बड़ी सरलता से जहां चाहता था, चला जाता था और चोरी कर लेता था। अब तो तुम मेरे रहस्य से अवगत हो गई और तुम्हें शांति मिल गई होगी, अब सो जाओ, आधी रात भी बीत चुकी है।दोनों ने सोने का ढोंग किया, पति चोरों की ओर से चौकन्ना था जबकि पत्नी डरी और सहमी हुई थी। चोरों का सरदार उनकी बातें सुनकर बहुत ख़ुश हुआ। उसने छत पर प्रतीक्षा करने वाले चोर से कहा कि तुम भी नीचे जाओ और उन दोनों के साथ गली का ध्यान रखो। अब मैं वह मंत्र पढ़ कर अदृश्य हो जाऊंगा और कमरे से जो चाहूंगा उठा लूंगा। चोरों के सरदार ने सात बार शोलम शोलम कहा और यह सोच कर कि कोई भी उसे देख नहीं पा रहा है, बड़ी तेज़ी के साथ बंद द्वार की ओर बढ़ा। द्वार तेज़ आवाज़ के साथ खुला और चोर अपना संतुलन बनाए नहीं रख पाया तथा सीढ़ियों से गिरता हुआ आंगन में पहुंच गया। घर के मालिक ने, जो इसी अवसर की प्रतीक्षा में था, अपनी लाठी उठाई और उसकी पिटाई आरंभ कर दी। चोर को इस बात की तनिक भी अपेक्षा नहीं था, वह चिल्लाने लगा। गली में मौजूद तीन चोरों ने जब अपने सरदार के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो भाग खड़े हुए। चोरों के सरदार का पूरा शरीर मार खा खा कर नीला पड़ गया था। उसने घर के मालिक से गिड़गिड़ा कर निवेदन किया कि वह उसे अब और न मारे। घर के मालिक ने अपनी लाठी रोक ली और उससे पूछा कि तुम कौन हो और इस समय मेरे घर में क्या लेने आए हो? चोर ने कराहते हुए कहा कि मैं वही मूर्ख हूं जिसने तुम्हारी बातों पर विश्वास कर लिया जिसके बाद मेरे सिर यह मुसीबत आ गई। घर के मालिक ने जो अत्यधिक क्रोध में था, कहा कि मैंने वर्षों तक कार्य और परिश्रम किया है और तुम अपराधी चोर एक ही रात में मेरी सारी धन संपत्ति ले जाने के लिए आए थे। घर के मालिक के चिल्लाने की आवाज़ सुन कर पड़ोसी जाग गए और उन्होंने कोतवाल को इसकी सूचना दी। कोतवाल ने आ कर चोर को पकड़ लिया और सब लोग अपने अपने घर चले गए। Last edited by aspundir; 17-06-2013 at 05:52 PM. |
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