२) दूसरी पीढ़ी (१९५५ से १९६४) [आधार - ट्रांजिस्टर]:
सन् १९४७ में Bell Laboratories नें 'ट्रांजिस्टर' नामक एक नई switching device का आविष्कार किया जोइस पीढी के लिए वरदान से कम नहीं था|
ट्रांजिस्टर Germanium Semiconductor पदार्थ से बनते थे जिससे इनका आकार काफी छोटा होता था, परिणाम स्वरूप वैक्युम ट्यूब की जगह Switching device का उपयोग होने लगा|
ट्रांजिस्टर की स्विचिंग प्रणाली बेहद तीव्र थी, जिससे उनकी कार्यक्षमता वैक्युम ट्यूब के मुकाबले बेहद तीव्रहोती थी|
हालांकि प्रथम पीढी के मुकाबले इनसे कम उर्जा निकलती थी फिर भी ठंडक बनाये रखने के लिए वातानुकूलनकी व्यवस्था अब भी जरुरी था|
इनकी मैमरी में विद्युतचुम्बकीय प्रसार की जगह चुम्बकीय अभ्यंतर का उपयोग हुआ, जिससे निर्देशों कोमैमरी में ही स्थापित करना हुआ| प्रथम पीढी के मुकाबले इनकी संचयन क्षमता कहीं ज्यादा थी|
गूढ़ मशीनी भाषा की जगह इनमें उपयोग के लिए सांकेतिक\असेम्बली भाषा का उपयोग हुआ, जिससे निर्देशोंको शब्दों में दर्ज करना सम्भव हुआ|
COBOL, ALGOL, SNOBOL, FORTRAN जैसे उच्चस्तरीय प्रोगामिंग भाषा तथा क्रमागत प्रचालन तंत्र (Batch Operating System) इसी दौरान अस्तित्व में आए|
इनका उत्पादन लागत कम हुआ, फलस्वरूप इनका व्यावासिक उपयोग औसत दर्जे का होने लगा|