06-08-2013, 02:54 AM | #34 |
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Re: इनसे सीखें जीने का अन्दाज़
थोड़ा हुआ, अभी आगे बहुत कुछ करना है...
नन्हीं उम्र, नन्हीं आंखें और उसमें पलने वाले बड़े-बड़े सपने। सपने जितने बड़े थे उससे कहीं बड़े थे उसके हौसले। गाजियाबाद की नौ साल की मासूम हिफ्जा बेग की जिसके कम्प्यूटर जैसे तेज दिमाग ने उसे न सिर्फ राष्ट्रपति पुरस्कार दिलाया, बल्कि उसका नाम आज लिम्का बुक आफ रिकार्ड में भी दर्ज है। हिफ्जा की यह उपलब्धि इसलिए भी और बड़ी हो जाती है क्योंकि उसके पिता एक मजदूर हैं, जो जैसे-तैसे हिफ्जा व उसके बड़े भाई राशिद का भरण-पोषण कर रहे हैं। हिफ्जा जब मात्र पांच साल की थी उस समय वह गांव के ही सरकारी पाठशाला में पढ़ाई कर रही थी। लेकिन उसका ज्ञान अपनी उम्र व साथ के बच्चों से कहीं आगे था। वह भारत के सभी प्रांतों के मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम पलक झपकते में बता देती। इतना ही नहीं धीरे-धीरे उसे विश्व के तमाम देशों के राष्ट्रपति व उनकी राजधानी के नाम भी कंठस्थ हो गए। यहां तक कि लाखों की गणना भी बिना कैलकुलेटर व कागज पेन के हिफ्जा चुटकियों में कर दिखाती। हिफ्जा के पिता कज्जाफी बेग, जो मजदूरी कर परिवार का गुजारा करते हैं, को लगा कि उनकी बेटी अन्य बच्चों से कुछ आगे है। लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वो बच्ची को किसी अच्छे प्रतिष्ठित स्कूल में शिक्षा दिला पाते। ऐसे में उन्होंने जिला प्रशासनिक कार्यालयों व मीडिया में सम्पर्क कर अपनी बच्ची की प्रतिभा के बारे में बताया जो उसकी प्रतिभा को देखता तो दांतो तले उंगली दबा लेता था। बस, यहीं से हिफ्जा व उसके पिता की मेहनत रंग लाई और हिफ्जा की प्रतिभा को पहचान मिलने लगी। पिछले साल बाल दिवस पर हिफ्जा को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उसे सम्मानित कर चुके हैं। प्रतिभा के बलबूते ही आज हिफ्जा डासना स्थित एक प्रतिष्ठित इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई कर रही है। अपनी प्रखर बुद्धि व याददाश्त से लोगों को हक्का-बक्का कर देने वाली हिफ्जा ने लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड के लिए भी आवेदन किया, जिसमें वह अवार्ड की कसौटी पर खरी उतरी और वर्ष 2012 में उसका नाम इस रिकार्ड के लिए दर्ज कर लिया गया। वह बड़े होकर आइएएस बनकर देश की सेवा करना चाहती है। उसकी गरीबी के दिन भले ही गुजर गए हों लेकिन उस मुफलिसी का दर्द आज भी उसके दिल में जिंदा है। इसलिए वह कहती है कि जब कोई बच्चा पैसे की कमी के कारण अपना मनपसंद काम व पढ़ाई नहीं कर पाता तो उसे बहुत दुख होता है। इसलिए यदि वह आईएएस अधिकारी बन गई तो इस तरह के बच्चों की विशेष रूप से मदद करेगी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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