14-08-2013, 06:35 PM | #11 |
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Re: छींटे और बौछार
शायद मेरा पागलपन है, और नहीं तो क्या कह दूँ
मेरे मन का अपनापन है और नहीं तो क्या कह दूँ समर में हारे होय पराजय, अपनों से हारा है 'जय' इसे पराजयगान कहूँ या तुम्ही कहो मैं क्या कह दूँ
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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