28-12-2010, 10:19 AM | #13 |
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Re: " संत कबीर "
आया है किस काम को किया कौन सा काम
भूल गए भगवान को कमा रहे धनधाम कमा रहे धनधाम रोज उठ करत लबारी झूठ कपट कर जोड़ बने तुम माया धारी कहते दास कबीर साहब की सुरत बिसारी मालिक के दरबार मिलै तुमको दुख भारी
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