10-01-2011, 11:12 AM | #34 |
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Re: !! बैताल पचीसी !!
यह ख़बर सुनकर एक ब्राह्मण-बालक राजी हो गया, उसने माँ-बाप से कहा, “आपको बहुत-से पुत्र मिल जायेंगे। मेरे शरीर से राजा की भलाई होगी और आपकी गरीबी मिट जायेगी।”
माँ-बाप ने मना किया, पर बालक ने हठ करके उन्हें राजी कर लिया। माँ-बाप बालक को लेकर राजा के पास गये। राजा उन्हें लेकर राक्षस के पास गया। राक्षस के सामने माँ-बाप ने बालक के हाथ-पैर पकड़े और राजा उसे तलवार से मारने को हुआ। उसी समय बालक बड़े ज़ोर से हँस पड़ा। इतना कहकर बेताल बोला, “हे राजन्, यह बताओ कि वह बालक क्यों हँसा?” राजा ने फौरन उत्तर दिया, “इसलिए कि डर के समय हर आदमी रक्षा के लिए अपने माँ-बाप को पुकारता है। माता-पिता न हों तो पीड़ितों की मदद राजा करता है। राजा न कर सके तो आदमी देवता को याद करता है। पर यहाँ तो कोई भी बालक के साथ न था। माँ-बाप हाथ पकड़े हुए थे, राजा तलवार लिये खड़ा था और राक्षस भक्षक हो रहा था। ब्राह्मण का लड़का परोपकार के लिए अपना शरीर दे रहा था। इसी हर्ष से और अचरज से वह हँसा।” इतना सुनकर बेताल अन्तर्धान हो गया और राजा लौटकर फिर उसे ले आया। रास्ते में बेताल ने फिर कहानी शुरू कर दी। |
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