12-12-2013, 10:36 AM | #11 |
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Re: इधर-उधर से
माता पिता का मूल्य
एक 80 साल का बूढा आदमी अपने घर में सोफे पर बैठा हुआ था, अपने 45 साल के उच्च शिक्षित बेटे के साथ. अचानक एक कौवाउनकी खिड़की पर आ बैठा.पिता ने अपने पुत्र से पूछा, "यह क्या है?" बेटे ने कहा "यह एक कौवा है". कुछ ही मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा,"यह क्या है?" बेटे ने कहा,"पिताजी, मैंने अभी आप से कहा है " यह एक कौवा है ". थोड़ी देर के बाद, बूढ़े पिताजी ने फिर बेटे से तीसरी बार पूछा, यह क्या है? " इस समय कुछ क्रोध के भाव उत्पन्न हुवे और उसने डांटने के अंदाज में अपने पिता से कहा. "यह एक कौवा है, "कौवा. एक छोटे से अन्तराल के बाद पुनः चौथी बार पिताजी ने फिर से अपने बेटे से पूछा कि "यह क्या है ?" इस बार बेटा अपने पिता पर चिल्लाया, " पिताजी तुम क्या चाहते हो जो बार बार एक ही सवाल दोहरा रहे हो? लगता है तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है?’’ हालांकि मैंने तुमसे कितनी बार कहा था 'यह एक कौवा है. आप कुछ करने में सक्षम नहीं, यह समझ में आया? " थोड़ी देर बाद पिताजी अपने कमरे में चले गये और वापसी में अपने हाथ में एक जीर्ण शीर्ण डायरी लेके आये जिसको वह उस समय लिखते थे जब उनका यह बेटा पैदा हुआ था और उन्होंने उस डायरी का एक पृष्ट खोल कर अपने बेटे को पढने को दिया और जब बेटे ने इसे पढ़ा, डायरी: - " आज मैं मेरे तीन साल के छोटे बेटे के साथ आँगन में बैठा हुआ था और सामने पेड़ पर एक कौवा आकर बैठ गया मेरे बेटे ने उसको देख कर मुझ से पूछा पिताजी यह क्या है तो मैंने कहा बेटे यह कौवा है l उसने यह प्रश्न मेरे से कोई 23 बार किया और हर बार मुझे उसको जवाब देने में स्नेह का अनुभव होता था और मैं उसके मस्तक को चूम लेता था उसके बार बार एक ही प्रश्न करने से मुझे खीज उत्पन्न नहीं हुई बल्कि ख़ुशी हुई.” |
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