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![]() Join Date: Aug 2013
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![]() निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।। अंग्रेज़ी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन। पै निज भाषाज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।। ā मातृ-भाषा के प्रति (भारतेंदु हरिश्चंद्र) |
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उन्नति, ज्ञान, भाषा, मातृ-भाषा, mother tongue |
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