29-08-2014, 11:11 PM | #11 |
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Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
गाल पर अधरों की एक कोमल स्पर्श ने दोपहर की उस नींद से मुझे जगा दिया, देखा रीना मेरे सिरहाने खड़ी थी और उसके गोद में दो साल का भतीजा सो रहा था। एकबारगी मुझे भरोसा नहीं हुआ, लगा जैसे सपना देख रहा हूं।
‘‘खूब घोड़ा बेच के सुतो हीं, यहां साला आंख मंे नींद नै है’’ रीना ने लगे हाथ यह तीर भी मारा। ‘‘की करियै हो, नींदा तो आइऐ जा है, अब सामने से नै तो नींदे में तोरा से भंेट मुलाकात हो जा है’’ मैंने अपना बचाव किया। ‘‘हां बहाना तो खूब है पर लेटरबा में कैसे लिखल रहो है, नींद नहीं आती और चैन नहीं मिलता। सब झूठ। ’’ रीना ने फिर से एक तीर मारा जिसका जबाब मैं ढुंढ़ने लगा। सच में उस दौर में मुझे नींद बहुत आती थी और जब भी मैं सो जाता तो रीना का स्वपन में आना लाजिम था। यह सिलसिला चल रहा था और तभी आज दोपहर में रीना अचानक मेरे घर, मेरे कमरे में आ गई। उसकी गोद में उसका दो साल का भतीजा था जिसको संभालने का बहाना उसके पास था। मेरे कमरे में आकर मुझे नींद से जगाने के बहाने उसने एक नयाब तोहफा दे दिया था। उसके अधरों के स्पर्श से मन झंकृत हो गाने लगा था, झूमने लगा था। उसके बाद वह मेरे सिरहाने से खिसक कर गोरथारी में चली गई। कमरे में सोया रहने पर मेरा सिर तो बाहर से दिखता था पर कमरे के बीचो बीच मिटटी की बनी कोठी ‘‘अनाज रखने वाला’’ होने की बजह से पैर की तरफ कोई नहीं देख पाता था। >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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