05-09-2014, 07:26 PM | #23 |
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Re: छींटे और बौछार
स्मृतियों की घनी छाँव से क्या मिलता ?
जब नेह-डगर पर चलकर मेरा जी जलता आह! तीक्ष्ण है शूल हृदय-'जय'-अन्तर में दहके अंगारे मिलते,जब चाही है शीतलता
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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