06-10-2014, 12:20 AM | #17 |
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Re: मुहावरों की कहानी
पैरों वाले मुहावरे
पहला ऑप्शन है- पैर पकड़ना। अब पैर पकड़ना भी कई तरह से होता है। एक होता है किसी युवती को छेड़कर पहले उससे जूते खाना और फिर उसके सॉफ्ट पैर पकड़कर उससे माफी मांगना। दूसरा होता है- अपने बॉस के पैर पकड़कर उसे यह यकीन दिलाना कि भविष्य में अकेले-अकेले रिश्वत खाने का महापाप नहीं किया जाएगा और रिश्वत की राशि सबसे पहले बॉस के श्रीचरणों में ही रखी जाएगी। तीसरा होता है- किसी नेता के पैर पकड़कर उससे यह गुजारिश करना कि 'हे लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी, चलो इस बार तो आपने अपना बेटा चोर दरवाजे से नौकरी में फिट कर लिया, लेकिन अगली बार मेरे बेटे का भी ध्यान रखना। उसके भी फ्यूचर का सवाल है।' चौथा होता है- अपनी टिकट कटती देखकर किसी नेता द्वारा हाईकमान के पैर पकड़ लेना और यह दुहाई देना कि 'हे पापियों के तारनहार, हे सर्वशक्तिदाता, मेरा टिकट काट कर इतना जुल्म न कर। मैंने घोटाले ही तो किए, कोई देश की सुरक्षा का सौदा थोड़े ही किया और घोटालों से जो भी कमाया है, उसका भोग आपको भी तो लगाया है। आपकी स्मरणशक्ति इतनी कमजोर कैसे हो गई?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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