22-12-2014, 08:12 PM | #11 |
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Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
कभी तो खुल के बरस अब के मेहरबान की तरह,
मेरा वजूद है जलते हुए मकां की तरह, मैं इक ख्वाब सही आपकी अमानत हूँ, मुझे संभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जान की तरह, कभी तो सोच के वो साक्ष किस कदर था बुलंद, जो बिछ गया तेरे क़दमों में आसमान की तरह, बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत, गुज़र न जाए ये रूठ भी कहीं खिज़ां की तरह..
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
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