20-01-2015, 08:24 PM | #19 |
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
आस्तिक और नास्तिक एक ही तो हैं <<< ईश्वर है या नहीं इस तरह की बहस अनंत है, ईश्वर है - के भी हजार उदाहरण हैं, और ईश्वर नहीं है - के भी हजार उदाहरण हैं।कोई किसी से कम नहीं है. न नास्तिक और न ही आस्तिक. इसी कारण जब बुद्ध सेपूछा जाता था कि ईश्वर है या नहीं तो बुद्ध मौन रह जाया करते थे॥ क्योंकिबहस बेमानी है। नास्तिक का मतलब है जिसने मानने से इंकार कर दिया. औरआस्तिक वह है जो मान कर बैठा है कि ईश्वर है. वह ग्रंथों से हजार उदाहरणढूंढ कर आपके सामने रख देगा . देखो! इस ग्रन्थ में लिखा है. लेकिन उसकाअपना कोई अनुभव नहीं है उसकी अपनी कोई खोज नहीं है उसे सिखा दिया गया है, कि ईश्वर है, उसकी पूजा करो अब वह दिमाग को एक तरफ रख कर ईश्वर की पूजाकरने लगता है. कुछ दिनों में यह आदत बन जाती है. ओशो आस्तिक औरनास्तिक दोनों को खूब छकाते थे । यदि कोई कहता कि ईश्वर है, तो वह कहते थेनहीं है, और यदि कोई कहता था कि ईश्वर नहीं है तो वह कहते थे कि है, तुमभूल कर रहे हो. >>>
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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खलील जिब्रान, khalil jibran |
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