29-01-2015, 08:41 PM | #35 |
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Re: !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!
प्रतिष्ठा के प्रतीक... वाह-वाह.. क्या शब्दों का चयन है! हाय हुसैन, इन शब्दों को हम न लिख सके!! यही नहीं, रजनीश मंगा जी.. कहानी की अद्वितीय वर्णन शैली से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मुंशी प्रेमचंद को पढ़ रहा हूँ. बधाई हो.
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