20-02-2015, 07:24 PM | #1 |
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आक्षेप का पटाक्षेप
हमारे कुछ विशिष्ट मित्रों ने, कुछ पाठकों ने, और स्वयं रजनीश जी ने हमारे एक सूत्र 'मन्दिर बन्द' में देवी-देवताओं के सुरा पान पर अपना आक्षेप लगाया है. आस्तिकों का सदैव से यह तर्क रहा है कि ‘जहाँ पर आस्था हो वहाँ पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाना चाहिए’. इस हास्य रचना में आस्था पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया गया है, अपितु आस्था के अनुरूप ही लिखा गया है. देवी-देवता सुरा पान करते हैं या नहीं, इस सन्दर्भ में निम्नलिखित स्पष्टीकरण और साक्ष्य प्रस्तुत किया जा रहा है और लाल रंग से दर्शाया जा रहा है-
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