01-03-2015, 12:27 PM | #1 |
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शुरुआत तो करो बदलेगा इंडिया
जैसलमेर जिले की पोखरण तहसील के सांकड़ा गांव ने जाति और परिवारिक राजनीति से ऊपर उठते हुए पंचायत को ऐसा प्रधान दिया है, जो सैकड़ों मील दूर बैठा था। अमातुल्ला यानी खुदा की बंदी, फौजी पिता के साथ रहकर अहमदाबाद में एमए इंग्लिश लिट्रेचर की पढ़ाई कर रही थीं। राजस्थान में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए 20 दिसबंर 2014 को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है। चुनाव आए तो चाचा के गांव में कोई 10वीं पास महिला नहीं मिली। किसी को अमातुल्ला याद आई और उसके पिता को फोन किया। टेबल-टेनिस खेलते वक्त अमातुल्ला को पता चला कि उसे चुनाव लड़ना है। मतदान से चार दिन पहले वह सांकड़ा आई। सदस्य पद के लिए नामांकन भरा और जीत गई।
पढ़ाई के बूते वह सदस्य तो बन गई, लेकिन प्रधान बनना सपने से कम नहीं था। कुल 18 सदस्यों में से 10 सदस्य कांग्रेस के थे और 8 भाजपा के। भाजपा ने कांग्रेस से जीते एक वकील सदस्य को अपनी पार्टी में शामिल कर प्रधान प्रत्याशी बना दिया। इससे संख्या बल बराबर हो गया। भाजपा के जोधपुर के सांसद गजेंद्रसिंह शेखावत और पोखरण के विधायक शैतानसिंह ने पूरी ताकत झोंक दी। इसके बावजूद हिंदू बहुल समिति के सदस्यों ने अमातुल्ला को प्रधान बना दिया।
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