02-03-2015, 11:42 PM | #1 |
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पता नहीं बेटा
पता नहीं बेटा
जब मैं छोटा था (यह सन 62-63 की बात है), हमारे घर में हिंदी का एक साप्ताहिक अखबार 'ब्लिट्ज़' आया करता था. काफी समय तक यह अखबार चलता रहा जो बाद में छपना बन्द हो गया. ब्लिट्ज़ और उसके सम्पादक आर.के.करंजिया दोनों ही अपने विशेष तेवरों के कारण मशहूर थे. यह अखबार तीन भाषाओं - इंग्लिश, हिंदी और उर्दू में छपता था. तीनों संस्करणों में एक 'पॉकेट कार्टून' छपता था जिसमें तत्कालीन घटनाओं पर 2-3 छोटे छोटे मजेदार डायलॉग होते थे. हिंदी में इसका नाम था - पता नहीं बेटा. उसी की तर्ज़ पर यह सूत्र आरम्भ किया जा रहा है. आशा है आपको पसंद आएगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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पता नहीं बेटा, i don't know son, pta nahin beta |
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