31-07-2015, 10:04 PM | #1 |
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munshi premchand
प्रेमचंद राष्ट्र के सेवक ने कहा - देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊँच नहीं। दुनिया ने जय-जयकार की - कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय! उसकी सुंदर लड़की इंदिरा ने सुना और चिंता के सागर में डूब गई। राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया। दुनिया ने कहा - यह फरिश्ता है, पैगंबर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है। इंदिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा। राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा - हमारा देवता गरीबी में है, जिल्लत में है, पस्ती में है। दुनिया ने कहा - कैसे शुद्ध अंतःकरण का आदमी है! कैसा ज्ञानी! इंदिरा ने देखा और मुसकराई। इंदिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली - श्रद्धेय पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ। राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देखकर पूछा - मोहन कौन है? इंदिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा - मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर और नेक है। राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आँखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया। |
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