26-03-2016, 12:45 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
साम्प्रदायिकता की हकीकत
साम्प्रदायिकता की हकीकत
साभार: श्री राकेश अग्रवाल तुमने देखा? हिंदुस्तान गुलाम था, हिंदू—मुसलमान झगड़ते थे। झगड़ा टले, हिदुस्तान— पाकिस्तान बंट गए। सोचा था बांटने वालों ने कि इस तरह यह झगड़ा टल जाएगा—दोनों को देश मिल गए, अब तो कोई झगड़ा नहीं है, अब तो बात खतम हो गयी, मुसलमान शांति से रहेंगे, हिंदू शांति से रहेंगे। लेकिन रहे शांति से? पब बंगाली मुसलमान पंजाबी मुसलमान से लड़ने लगा। तब गुजराती महाराष्ट्रियन से लड़ने लगा। तब हिंदी बोलने वाला गैर—हिंदी बोलने वाले हिंदू से लड़ने लगा। ये पहले न लड़े थे, कभी तुमने खयाल किया? जब तक हिंदू—मुसलमान लड़ रहे थे, तब तक गुजराती और मराठी नहीं लड़ रहे थे, तब तक हिंदी और तमिल नहीं एक्स रहे थे। तब तक बंगाली मुसलमान और पंजाबी मुसलमान में गहरा भाईचारा था —दोनों मुसलमान थे, लड़ने की बात ही कहां थी? दोनों को हिंदू से लड़ना था, दोनों इकट्ठे थे। हिंदू भी इकट्ठे थे—मुसलमान से लड़ना था। अब मुसलमान तो कट गया, मुसलमान का पाकिस्तान हो गया, हिंदू का हिंदुस्तान हो गया, अब किससे लड़े? और लड़ने वाली बुद्धि तो वही है, वहीं के वहीं हैं। लड़ना तो पड़ेगा ही, नए बहाने खोजने पड़ेंगे। तो बंगाल कट गया, पाकिस्तान से भयंकर युद्ध हुआ। हिंदू—मुसलमान भी इस बुरी तरह कभी न लड़े थे जैसे मुसलमान—मुसलमान लड़े। और इन बीस—तीस सालों में हिंदू हजार ढंग से लड़ रहे हैं। किससे लड़ रहे हो अब? अब कोई भी छोटा बहाना कि एक जिला महाराष्ट्र में रहे कि मैसूर में रहे, बस पर्याप्त है झगड़े के लिए छुरेबाजी हो जाएगी। कि बंबई राजधानी महाराष्ट्र की बने कि गुजरात की, छुरेबाजी हो जाएगी। कि इस देश की भाषा कौन हो—हिंदी हो, कि तमिल हो, कि बंगाली हो—कि बस झगड़ा शुरू। और तुम यह मत सोचना कि यह झगड़ा ऐसा आसान है। इसको निपटा दो—हिंदी— भाषियों का एक प्रात बना दो कि चलो सारे हिंदी— भाषियों का एक प्रात, सारे गैर—हिंदी भाषियों का दूसरा प्रांत—तुम पाओगे हिंदी— भाषी आपस में लड़ने लगे। क्योंकि उसमें भी कई बोलियां हैं। ब्रज भाषा है, और मगधी है, और बुंदेलखंडी है, और छत्तीसगढ़ी है, झगड़े शुरू! आदमी को लड़ना है तो वह नए बहाने खोज लेगा। लड़ना ही है तो कोई भी निमित्त काम देता है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
साम्प्रदायिकता, communalism |
|
|