28-04-2016, 11:17 PM | #1 |
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अपना अपना भाग्य
अपना अपना भाग्य
(इन्टरनेट से) एक राजा के तीन पुत्रियाँ थीं और तीनों बडी ही समझदार थी। वे तीनो राजमहल मे बडे आराम से रहती थी। एक दिन राजा अपनी तीनों पुत्रियों सहित भोजन कर रहे थे, कि अचानक राजा ने बातों ही बातों मे अपनी तीनों पुत्रियो से कहा- एक बात बताओ, तुम तीनो अपने भाग्य से खाते-पीते हो या मेरे भाग्य से? दो बडी पुत्रियो ने कहा कि- पिताजी हम आपके भाग्य से खाते हैं। यदि आप हमारे पिता महाराज न होते, तो हमें इतनी सुख-सुविधा व विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाने को नसीब नहीं होते। ये सब आपके द्वारा अर्जित किया गया वैभव है, जिसे हम भोग रहे हैं। पुत्रियों के मुँह से यह सुन कर राजा को अपने आप पर बडा गर्व और खु:शी हो रही थी लेकिन राजा की सबसे छोटी पुत्री ने इसी प्रश्न के उत्तर में कहा कि- पिताजी मैं आपके भाग्य से नहीं बल्कि अपने स्वयं के भाग्य से यह सब वैभव भोग रही हूँ। छोटी पुत्री के मुँख से ये बात सुन राजा के अहंकार को बडी ठेस लगी। उसे गुस्सा भी आया और शोक भी हुआ क्योंकि उसे अपनी सबसे छोटी पुत्री से इस प्रकार के जवाब की आशा नहीं थी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 29-04-2016 at 07:18 PM. |
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