05-11-2016, 02:27 AM | #34 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
न जी भर के देखा, न कुछ बात की।
बड़ी आरज़ू थी मुलाकात की। (डा. बशीर बद्र) |
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अन्ताक्षरी, कविता, गजल, गीत, शायरी, शेर, antakshari |
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