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किस्सा तीन बहनों का
फिर परीजाद ने कहा, सरकार, मेरे पास एक और अजीब चीज है जिसे आप देखें। यह एक चिड़िया है जो आदमियों की तरह बोलती है। और जब यह गाती है तो सारे पक्षी जमा हो जाते हैं और इसके सुर में सुर मिला कर गाने गाते हैं। बादशाह ने कहा, उस चिड़िया को भी दिखाओ। परीजाद बादशाह को उस बारहदरी के पास लाई जिसमें उस चिड़िया का पिंजड़ा रखा गया था। बादशाह ने देखा कि आसपास के चार-छह पेड़ों पर सैकड़ों और विभिन्न प्रकार के पक्षी एक सुर में गा रहे हैं। उसने पूछा, क्या यह सब पक्षी तुमने पाले हैं? परीजाद बोली, नहीं। यह बारहदरी में रखे पिंजड़े में जो चिड़िया है उसके गाने से खिंच कर आए हैं और उसके साथ-साथ गा रहे हैं। बादशाह बारहदरी में गया तो देखा कि पिंजड़े में बंद एक चिड़िया मस्त हो कर गा रही है। परीजाद ने कहा, बोलनेवाली चिड़िया, देखती नहीं कि बादशाह सलामत खुद आए हुए हैं? तेरा इधर ध्यान नहीं है। यह सुन कर चिड़िया चुप हो गई और उसके साथ ही आसपास के पेड़ों पर बैठे हुए सारे पक्षी चुप हो गए। चिड़िया ने बादशाह को प्रणाम किया और पूछा कि आपको यहाँ तक आने में किसी प्रकार का कष्ट तो नहीं हुआ। बादशाह को यह देख कर ताज्जुब हुआ कि यह चिड़िया बिल्कुल मनुष्य जैसी आवाज में बोलती है। उसने चिड़िया के अभिवादन का यथोचित उत्तर दिया और कुछ देर उससे बातें कीं। चिड़िया ने हर बात का शिष्टाचारपूर्वक उत्तर दिया। बादशाह उससे ऐसा प्रभावित हुआ कि खाने के समय भी उसका पिंजड़ा पास में रखवा लिया ताकि उससे बातें करता रहे।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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